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Prabhat Ranjan

आप कैसी कहानियां लिखते हैं?

ओमा शर्मा ऐसे लेखकों में हैं जिनके लिए लिखना जीवन-जगत के गहरे सवालों से दो-चार होना है. इस लेख में भी वह दिखाई देता है- जानकी पुल. ======================= ‘आप कैसी कहानियां लिखते हैं’? परिचय की परिधि पर मिलने वालों की तरफ से मेरी तरफ जब मौका मिलते ही यह सवाल …

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वे हर बात का जवाब देते थे, सबको जवाब देते थे

जिन दिनों सीतामढ़ी में इंटर का विद्यार्थी था तो अपने मित्र श्रीप्रकाश की सलाह पर मैंने एक पत्र राजेंद्र यादव को लिखा था. ‘हंस’ पत्रिका हमारे गाँव तक भी पहुँचती थी. हम दोनों मित्र लेखक बनने के लिए बेचैन थे और जिससे भी मौका मिलता लेखक बनने की सलाह मांगते …

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‘समन्वय’ अब अगले बरस का इंतज़ार है!

शाम को पार्थो दत्ता सर ने फोन किया. पूछा- उस लेखक का क्या नाम है जिसके बारे में तुमने कहा था कि यह कवि अच्छा है, जिसकी किताब पेंगुइन ने छापी है. मुझे याद आ गया कि उन्होंने ज्ञान प्रकाश विवेक की एक कहानी का का जिक्र किया था. वह …

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ताली बजाएगा पागल सा कलकत्ता

युवा लेखक प्रचंड प्रवीर को हम ‘अल्पाहारी गृहत्यागी’ के प्रतिभाशाली उपन्यासकार के रूप में जानते हैं. लेकिन कविताओं की भी न केवल वे गहरी समझ रखते हैं बल्कि अच्छी कविताएँ लिखते भी हैं. एक तरह का लिरिसिज्म है उनमें जो समकालीन कविता में मिसिंग है. चार कविताएँ- जानकी पुल. ===========================================================    …

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‘समन्वय’ में भोजपुरी और प्रकाश उदय

आज से इण्डिया हैबिटेट सेंटर का भारतीय भाषा महोत्सव ‘समन्वय’ शुरू हो रहा है. इसमें इस बार भोजपुरी के दुर्लभ कवि-लेखक प्रकाश उदय को सुनने का मौका भी मिलने वाला है. उनके साहित्य पर युवा कवि मृत्युंजय ने यह बहुत अच्छी टीप लिखी है. और आस्वाद के लिए उनकी पांच …

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स्त्री विमर्श सबसे ज़्यादा गलत समझा जाने वाला शब्द है

पिछले कुछ महीनों में ‘बिंदिया’ पत्रिका ने अपनी साहित्यिक प्रस्तुतियों से ध्यान खींचा है. जैसे कि नवम्बर अंक में प्रकाशित परिचर्चा जो कुछ समय पहले वरिष्ठ लेखिका मैत्रेयी पुष्पा द्वारा ‘जनसत्ता’ में लिखे गए उस लेख के सन्दर्भ में है जिसमें उन्होंने समकालीन लेखिकाओं के लेखन को लेकर अपनी असहमतियां-आपत्तियां दर्ज की थी. उनके …

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कुछ कविताएँ कुमार अनुपम की

कुमार अनुपम की कविताएँ समकालीन कविता में अपना एक अलग स्पेस रचती है- ‘अपने समय की शर्ट में एक्स्ट्रा बटन की तरह’. हिंदी कविताओं की अनेक धाराओं के स्वर उनकी कविताओं में दिखाई देते हैं जो उनकी एक अलग आवाज बनाते हैं. यहं उनकी कुछ कविताएँ- जानकी पुल. ============================================================= अशीर्षक बेहया …

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मैत्रेयी खुद रही हैं स्त्री-देह विमर्श की पैरोकार- चित्रा मुद्गल

पिछले कुछ महीनों में ‘बिंदिया’ पत्रिका ने अपनी साहित्यिक प्रस्तुतियों से ध्यान खींचा है. जैसे कि नवम्बर अंक में प्रकाशित परिचर्चा जो कुछ समय पहले वरिष्ठ लेखिका मैत्रेयी पुष्पा द्वारा ‘जनसत्ता’ में लिखे गए उस लेख के सन्दर्भ में है जिसमें उन्होंने समकालीन लेखिकाओं के लेखन को लेकर अपनी असहमतियां-आपत्तियां …

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दूरदर्शन की नई पहल है ‘दृश्यांतर’

दूरदर्शन की नई पहल है ‘दृश्यांतर’. ‘मीडिया, साहित्य,संस्कृति और विचार’ पर एकाग्र इस पत्रिका का प्रवेशांक आया है. जिसमें सबसे उल्लेखनीय है श्याम बेनेगल से त्रिपुरारी शरण से बातचीत. ‘मोहल्ला अस्सी वाया पिंजर’ में सिनेमा के अपने अनुभवों पर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने अच्छा संस्मरणात्मक लेख लिखा है. यतीन्द्र मिश्र लोकप्रिय …

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फेसबुक पर फेस को नहीं, बुक को प्राथमिकता मिलनी चाहिए

वरिष्ठ लेखक-पत्रकार राजकिशोर वाद-विवाद बनाए रहते हैं. अब आभासी दुनिया को लेकर लिखा गया उनका यह लेख ही ले लीजिये. बहरहाल, यह तो तय है कि सारे वाद-विवाद के बावजूद वे संवाद बनाए रखते हैं. आभासी दुनिया के मित्रों के नाम उनका यह लेख- जानकी पुल. ======================================================= मैं यह दावा …

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