आज की पीढ़ी गांधी के बारे में क्या सोचती है यह जानना मेरे लिए ज़्यादा ज़रूरी है।यह लेख अमृतांशु ने लिखा है जो दिल्ली विश्वविद्यालय के क्लस्टर इनोवेशन सेंटर में बीए तृतीय वर्ष के होनहार छात्र हैं- मॉडरेटर ======================== सम्पूर्ण भारतीय राजनीतिक संस्कृति दो विपरीत ध्रुवों में बंटी रही है, …
Read More »उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है
प्रसिद्ध लेखक रोमां रोलाँ ने ने महात्मा गांधी पर किताब लिखी थी, जिसका हिंदी अनुवाद सेंट्रल बुक डिपो, इलाहाबाद से 1947 में प्रकाशित हुआ था। अनुवादक का नाम किताब में नहीं है लेकिन इसका पहला संस्करण 2000 प्रतियों का था। आज उसी पुस्तक ‘महात्मा गांधी विश्व के अद्वितीय महापुरुष’ का …
Read More »प्रेम में लोग अक्सर अक्टूबर में आये फूलों की तरह ख़त्म हो जाते हैं
आमतौर पर किसी कवि की कविताएँ इतनी जल्दी दुबारा नहीं प्रकाशित की जानी चाहिए, हिंदी में बहुत कवि हैं। लेकिन अभिषेक रामाशंकर कुछ अलग कवि है जिसको जितना पढ़ता जाता हूँ मुग्ध होता जाता हूँ। इंजीनियरिंग के छात्र अभिषेक की भाषा शैली बहुत भिन्न है। कविता आख़िर कहने का एक …
Read More »अनुपम मिश्र का लेख ‘तैरने वाला समाज डूब रहा है’
आज सत्यानंद निरुपम जी ने फ़ेसबुक पर अनुपम मिश्र के इस लेख की याद दिलाई तो मुझे ‘जनसत्ता’ के वे दिन याद आ गए जब एडिट पेज पर हमने यह लेख प्रकाशित किया था, याद आई अशोक शास्त्री जी की जिनसे घंटों घंटों इस लेख को लेकर चर्चा होती थी। …
Read More »लोकप्रियता को कलात्मक-वैचारिक स्तर का पैमाना नहीं बनाया जा सकता
एक ज़माने में जिसको लुगदी साहित्य कहा जाता था आज वह लोकप्रिय साहित्य कहा जाता है। उसकी परम्परा पर वरिष्ठ कवयित्री कात्यायनी ने फ़ेसबुक वाल पर एक लम्बी टिप्पणी लिखी थी। आप भी पढ़ सकते हैं- मॉडरेटर ========================= फिल्मकार कोस्ता गावरास ने एक बार किसी साक्षात्कार के दौरान कहा था …
Read More »पराग मांदले की कहानी ‘चाह की गति न्यारी’ उपसना झा की टिप्पणी के साथ
‘नया ज्ञानोदय’ के अगस्त अंक में प्रकाशित पराग मांदले की कहानी ‘चाह की गति न्यारी’ पढ़िए युवा कवयित्री-लेखिका उपासना झा की टिप्पणी के साथ- मॉडरेटर =============================== नया ज्ञानोदय के अगस्त अंक में छपी पराग मांदले की कहानी ‘चाह की गति न्यारी’ मनुष्य के मन की परतों को खोलती हुई एक अच्छी …
Read More »ईशान त्रिवेदी की कहानी ‘स्टील का बिल्ला’
एनएसडी के ग्रेजुएट, फ़िल्मों-टीवी की दुनिया के वरिष्ठ पेशेवर ईशान त्रिवेदी के छोटे छोटे क़िस्सों का मेरे ऊपर ग़ज़ब जादू हो गया है। हर बार एक ताज़ा अहसास से भर देती हैं उनकी कहानियाँ। जैसे इसी कहानी को लीजिए- मॉडरेटर ================================ मेरे घर कामरेड सुरजीत सिंह आ रहे थे। सी …
Read More »अभिषेक रामाशंकर की तीन कविताएँ
मैं जब सोचता हूँ कि अब कविताएँ नहीं पढ़ूँगा, जानकी पुल पर कविताएँ नहीं। तभी कोई कवि आ जाता है, कोई कविता आ जाती है और सोचता हूँ एक बार और लगा लेता हूँ कविताएँ। इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे अभिषेक रामाशंकर की कविताएँ पढ़कर भी ऐसा ही लगा। आप …
Read More »आज़ादी को ज्यादातर लोग पाप समझते हैं.
पूनम दुबे को पढ़ते हुए कई बार लगता है कि वह यात्राओं पर लिखने के लिए ही बनी हैं। इस बार उन्होंन एम्सटर्डम शहर पर लिखा है- मॉडरेटर =========================== एम्सटर्डम में एक पूरा दिन ऐसे बिता जैसे कि कुछ पल हों. जाने से पहले तय किया था कि एम्सटर्डम में …
Read More »रूसी लेखक सिर्गेइ नोसव की कहानी ‘फ्रीज़र’
रूसी लेखक सिर्गेइ नोसव की कहानी का अनुवाद किया है आ. चारुमति रामदास ने- =============== आख़िरकार रात के दो बजे केक आ ही गया. दो टुकड़े खाने के बाद – एक अपने लिए और एक शौहर के लिए, – मार्गारीटा मकारोव्ना को टी.वी. की तलब आई, अपने प्यारे कॉमेडी-कलाकारों को …
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