Home / Prabhat Ranjan (page 92)

Prabhat Ranjan

विवेक मिश्र की कहानी ‘कारा’

विवेक मिश्र समकालीन साहित्य का जाना-माना नाम हैं। उनकी नई कहानी पढ़िए- मॉडरेटर ========================= बाहर फैले स्याह रंग में हल्की-सी रोशनी घुलने लगी थी। अंधेरा फीका हो चला था। माया ने कुर्सी से उठकर खिड़की का पर्दा एक ओर सरका दिया। सारी रात अस्पताल में कटी थी। प्रशान्त पर अभी …

Read More »

ड्रीम गर्ल- कहानी भीड़ में तन्हा होने की

हाल में ही रिलीज़ हुई फ़िल्म ड्रीम गर्ल की समीक्षा लिखी है निवेदिता सिंह ने- ====================================== इस फ़िल्म को देखने से पहले जब भी किसी के मुँह से ड्रीम गर्ल के बारे में सुनती थी तो हेमा मालिनी का खूबसूरत से चेहरा खुद-ब-खुद आँखों के सामने तैर जाता था पर …

Read More »

लापरवाह, चरित्रहीन, आवारा, मसीहा : आखिर तुम कौन हो शरत!

शरतचंद्र की जयंती पर देवेंद्र शर्मा का यह गद्य पढ़ा तो साझा करने से रोक नहीं पाया- मॉडरेटर —————————————————————– अब, जबकि तुमसे मिले बरसों बीत गए हैं और तुम्हारे होने का मेरे होने पर प्रभाव स्पष्ट रूप से मुझे और औरों को दिखने लगा है तो आज तुम्हारे जन्मदिन पर …

Read More »

सत्य और गल्प की गोधूलि का लेखक शरतचन्द्र

कई साल पहले प्रकाश के रे जी के कहने पर महान लेखक शरतचन्द्र पर यह लेख लिखा था।आज उनकी जयंती पर याद आ गया- प्रभात रंजन ======================================== शरतचन्द्र जिस दौर में लिख रहे थे तब साहित्य, राजनीति हर तरफ सुधार, उद्धार, आदर्शों की चर्चा रहती थी. उसी युग में शरतचंद्र …

Read More »

गौतम राजऋषि की कहानी ‘चिल-ब्लेन्स’

सेना और कश्मीर के रिश्ते को लेकर इस कहानी का ध्यान आया। गौतम राजऋषि की यह कहानी इस रिश्ते को एक अलग ऐंगल से देखती है, मानवीयता के ऐंगल से। मौक़ा मिले तो पढ़िएगा- मॉडरेटर =====================             “क्या बतायें हम मेजर साब, उसे एके-47 से इश्क़ हो गया और छोड़ …

Read More »

क्या हिंदी, हिंदी ढंग की हो गई है?

दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ने से लेकर पढ़ाने तक के अनुभवों को लेकर एक लेख कल दैनिक जागरण में प्रकाशित हुआ। तीस साल पहले कंप्लीट अंग्रेज़ीदां माहौल में दिल्ली विश्वविद्यालय कैंपस में हिंदी के विद्यार्थियों के लिए परीक्षा पास होने से बड़ी चुनौती अंग्रेजियत की परीक्षा पास होने की होती …

Read More »

मोमबत्ती दिलवाली रात भर जलती रही

सुरेन्द्र मोहन पाठक ने अपनी आत्मकथा के दूसरे खंड ‘हम नहीं चंगे बुरा न कोय’ में अमृता प्रीतम से मुलाक़ात का ज़िक्र किया। आत्मकथा के पहले खंड में उन्होंने इंद्रजीत यानी इमरोज़ के बारे में लिखा था, दूसरे खंड में भी उन्होंने लिखा है कि एक कलाकार के रूप में …

Read More »

एक ऐसी कहानी जिसे ब्रिटिश छुपाना चाहते थे और हिंदुस्तानी भुलाना

प्रवीण कुमार झा की चर्चित पुस्तक ‘कुली लाइंस’ पर यह टिप्पणी लिखी है कवि यतीश कुमार ने- मॉडरेटर ========================== अखिलेश का ‘निर्वासन’ पढ़ा था और वो मेरा  ‘गिरमिटिया’ शब्द से पहला परिचय था। जहाँ सूरीनाम,1985 में आए एक्ट का जिक्र था। गोसाईगंज से सूरीनाम तक रामअजोर पांडे के बाबा और बिहार …

Read More »

बांधे रखने वाला मनोरंजन देता है ऑडियो नॉवेल गुस्ताख़ इश्क़

स्टोरीटेल पर कुछ कहानियाँ धारावाहिक रूप में भी हैं, जो समक़ालीन जीवन स्थितियों को लेकर हैं। ‘ग़ुस्ताख़ इश्क़‘ ऐसी ही एक सीरीज़ है, जिसे इरा टाक ने लिखा है। उसकी समीक्षा की है शिल्पा शर्मा ने- मॉडरेटर ====================== इरा टाक का लिखा पहला ऑडियो नॉवेल गुस्ताख़ इश्क़ एक युवा पत्रकार …

Read More »

‘मार्ग मादरज़ाद’ की कविताएँ: पीयूष दईया

आजकल लेखन में ही कोई प्रयोग नहीं करता कविता में करना तो दूर की बात है। सब एक लीक पर चले जा रहे हैं। लेकिन कवि संपादक पीयूष दईया अपनी लीक के मार्गी हैं। कम लिखते हैं, लेकिन काया और माया के द्वंद्व में गहरे धँस कर लिखते हैं। सेतु …

Read More »