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लेख

पीढ़ियों से लोकमन के लिए सावन यूं ही मनभावन नहीं रहा है सावन  

प्रसिद्ध लोक गायिका चंदन तिवारी केवल गायिका ही नहीं हैं बल्कि गीत संगीत की लोक परम्परा की गहरी जानकार भी हैं, विचार के स्तर पर मज़बूती से अपनी बातों को रखती हैं। कल से सावन शुरू हो रहा है, सावन में गाए जाने वाले गीतों की परम्परा को लेकर उनका …

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ब्लू व्हेल’ गेम से भी ज़्यादा खतरनाक है ‘नकारात्मकता’ का खेल

संवेदनशील युवा लेखिका अंकिता जैन की यह बहसतलब टिप्पणी पढ़िए- मॉडरेटर ========================================== हम बढ़ती गर्मी, पिघलती बर्फ़ और बिगड़ते मानसून के ज़रिए प्रकृति का बदलता और क्रूर होता स्वभाव तो देख पा रहे हैं, पर क्या तकनीकि के दुरुपयोग से अपने बदलते और क्रूर होते मिज़ाज़ को समझ पा रहे …

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इस्तांबुल से कोपेनहेगन

पूनम दुबे के यात्रा वृत्तांत हम जानकी पुल पर पढ़ते रहे हैं। हाल में ही वह इस्तांबुल से कोपेनहेगन गई हैं। यह छोटा सा यात्रा संस्मरण उसी को लेकर। हाल में ही पूनम का उपन्यास आया है प्रभात प्रकाशन से ‘चिड़िया उड़’, जो उनकी अपनी जीवन यात्रा को लेकर है- …

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जनादेश 2019: एक बात जो बार-बार छूट रही है…

कल लोकसभा चुनावों के अभूतपूर्व परिणाम, जीत-हार का बहुत अच्छा विश्लेषण किया है युवा लेखक पंकज कौरव ने। हमेशा की तरह पंकज का एक गम्भीर, चिंतनपरक और बहसतलब लेख- मॉडरेटर ============ जनादेश आखिर जनादेश होता है। हां कभी-कभी वह भावावेश में भी आता है लेकिन बावजूद इसके अगर दोहराया जाता …

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कैसे रचा गया होगा यूँ पत्थरों में स्वर्णिम इतिहास

भारती दीक्षित चित्रकार हैं, कहानियों का यूट्यूब चैनल चलाती हैं और बहुत अच्छा लिखती हैं। जानकी पुल पर हम उनके यात्रा वृत्तांत पहले भी पढ़ चुके हैं। इस बार एलोरा यात्रा का वर्णन पढ़िए- मॉडरेटर ====================== जब  अजंता से चले तब आँखों में चमक थी,मन और तन दोनों था ऊर्जा  …

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टैगोर: ‘वह कवि जब तक जिया, उसने प्रेम किया’

आज रबीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर सुपरिचित कवयित्री, प्रतिभाशाली लेखिका रश्मि भारद्वाज का लेख पढ़िए। पहले यह लेख ‘दैनिक भास्कर’ में प्रकाशित हो चुका है। वहाँ से साभार पढ़िए- मॉडरेटर =====================================  ‘मैंने अपने जीवन में चाहे और जो कुछ भी किया हो, एक लंबी ज़िंदगी जी लेने के बाद आज …

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कृष्णा सोबती उनकी जीजी थीं

हंस पत्रिका का अप्रैल अंक कृष्णा सोबती की स्मृति को समर्पित था, जिसका सम्पादन अशोक वाजपेयी जी ने किया है। इस अंक में कृष्णा जी को याद करते हुए उनकी भतीजी ने एक आत्मीय संस्मरण लिखा है जिसका अंग्रेज़ी से अनुवाद मैंने किया है। आपने न पढ़ा तो तो पढ़िएगा- …

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महात्मा गांधी को किस तरह देखा जाए

कल दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज(सांध्य) में विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन के कुलपति प्रोफ़ेसर  बिद्युत चक्रवर्ती ने मिर्ज़ा महमूद बेग स्मृति व्याख्यान दिया। उन्होंने महात्मा गांधी पर बोलते हुए उन परिस्थितियों की बात की जिसमें गांधी को गांधी बनाया और साथ ही उनके विरोधाभासों के की भी चर्चा …

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लथपथ सहानुभूति का प्रतिपक्ष:  रवीन्द्र कालिया की कहानियाँ

अभी हाल में ही अपने यादगार विशेषांकों के लिए जानी जाने वाली पत्रिका ‘बनास जन’ का नया अंक आया है प्रसिद्ध लेखक-सम्पादक रवीन्द्र कालिया पर। इस अंक में कालिया जी की कहानियों पर दुर्लभ लेखक हिमांशु पण्ड्या एक पठनीय लेख आया है। आपकी नज़र है- मॉडरेटर ============= ‘चाल’ कहानी में …

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मार्केज़ का जादू मार्केज़ का यथार्थ

जानकी पुल पर कभी मेरी किसी किताब पर कभी कुछ नहीं शाया हुआ. लेकिन यह अपवाद है. प्रवासी युवा लेखिका पूनम दुबे ने मेरी बरसों पुरानी किताब ‘मार्केज़: जादुई यथार्थ का जादूगर’ पर इतना अच्छा लिखा है साझा करने का लोभ संवरण नहीं कर सका- प्रभात रंजन =============================================== कुछ महीने …

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