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बेटी रचना की निगाह में राजेंद्र यादव

रचना यादव हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित और विवादास्पद लेखक राजेन्द्र यादव और मशहूर कथालेखिका मन्नू भंडारी की बेटी हैं। रचना ने एडवर्टाइजिंग में मास कम्यूनिकेशन से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। फिर एडवर्टाइजिंग एजेंसी में नौ साल तक नौकरी की। इन्होंने अपनी डिजाइनिंग की हॉबी को पूरा किया। वह कथक डांसर हैं। …

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अलेक्सान्द्र पूश्किन की कहानी ‘डाकचौकी का चौकीदार’

अलेक्सान्द्र पूश्किन की आज जयंती है। महज़ 38 साल की आयु में दुनिया छोड़ देने वाले इस कवि-लेखक की एक कहानी पढ़िए। अनुवाद किया है आ. चारुमति रामदास ने- =============== मुंशी सरकार का, तानाशाह डाकचौकी का  – राजकुमार व्याज़ेम्स्की डाकचौकी के चौकीदारों को किसने गालियाँ नहीं दी होंगी, किसका उनसे …

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‘श्वेत’ बहुत माहौल में ‘अश्वेत’ अनुभव

मिशेल ओबामा की आत्मकथा ‘बिकमिंग’ बेहतरीन किताब है, प्रेरक भी। अल्पसंख्यक(अश्वेत) समाज में पैदा होकर भी आप संघर्ष करते हुए मुख्यधारा में अपनी जगह बना सकते हैं। शिकागो के अश्वेत समुदाय से निकलकर अमेरिका के प्रिंसटन जैसे विश्वविद्यालय में पढ़ना और बाद में राष्ट्रीय फ़लक पर अपना मुक़ाम बनाना। मैंने …

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बच्चों को न सुनाने लायक एक बालकथा:  मृणाल पाण्डे

जानी-मानी लेखिका मृणाल पांडे पारम्परिक कथा-साँचों में आधुनिक प्रयोग करती रही हैं। इस बार उन्होंने एक पारम्परिक बाल कथा को नए बोध के साथ लिखा है और महामारी, समकालीन राजनीति पर चुभती हुई व्यंग्य कथा बन गई है। एक पाठक के तौर पर यही कह सकता हूँ कि महामारी काल …

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बेवफ़ा नायिकाओं का वफ़ादार उपन्यासकार दत्त भारती

फ़िल्म ‘प्यासा’ एक ऐसे शायर की कहानी है जो अपनी पहचान बनाने की जद्दोजहद में है। असल में, इस बात को कम ही लोग जानते हैं कि यह फ़िल्म मूल रूप से उर्दू में लिखे गए एक उपन्यास ‘चोट’ पर बनी थी, जिसके लेखक थे दत्त भारती। हालाँकि इसका क्रेडिट …

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भारतेंदु युग की लेखिका मल्लिका और उनका उपन्यास ‘सौंदर्यमयी’

 भारतेंदु युग की लेखिका मल्लिका को लेखिका कम भारतेंदु की प्रेमिका के रूप में अधिक दिखाया गया है। लेकिन युवा शोधार्थी सुरेश कुमार ने अपने इस लेख में मल्लिका के एक लगभग अपरिचित उपन्यास ‘सौंदर्यमयी’ के आधार पर यह दिखाया है कि बाल विवाह, विधवा विवाह जैसे ज्वलंत सवालों को …

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वैधानिक गल्प:बिग थिंग्स कम इन स्माल पैकेजेज

चंदन पाण्डेय का उपन्यास ‘वैधानिक गल्प’ जब से प्रकाशित हुआ है इसको समकालीन और वरिष्ठ पीढ़ी के लेखकों ने काफ़ी सराहा है, इसके ऊपर लिखा है। शिल्प और कथ्य दोनों की तारीफ़ हुई है। यह टिप्पणी लिखी है जानी-मानी लेखिका वंदना राग ने- जानकी पुल। ============================ ब्रेकफास्ट ऐट टिफ़नीज़  (Breakfast …

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बेटी सूफ़िया की निगाह में लेखक शानी

‘काला जल’ जैसे उपन्यास के लेखक शानी के बारे में आजकल कम लिखा जाता है, सुना जाता है। हम विस्मृति के दौर में जी रहे हैं। गुलशेर ख़ाँ शानी के तीन बच्चों में शहनाज़, सूफ़िया और फ़िरोज़ हैं। सूफ़िया दिल्ली में रहते हुए 10 सालों से बीबीसी रेडियो से जुड़ी …

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‘रसीदी टिकट’ के बहाने अमृता को जैसा जाना मैंने!

कुछ कृतियाँ ऐसी होती हैं हिन्हें पढ़ते हुए हर दौर का पाठक उससे निजी रूप से जुड़ाव महसूस करते हुए भावनाओं में बह जाता है। प्रत्येक पाठक उस रचना का अपना पाठ करता है। ऐसी ही एक कृति है अमृता प्रीतम की आत्मकथा ‘रसीदी टिकट’, इसका पाठ किया है निधि …

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नियति का अर्थ है पैतृकता की पहचान

   कैलाश दहिया आजीवक विचारक हैं और अपने इस लेख में उन्होंने नियति के सिद्धांत पर विचार करते हुए धर्मों में स्थापित भाग्यवाद की तार्किक आलोचना की है। एक ज्ञानवर्धक लेख पढ़ा इसलिए साझा कर रहा हूँ- जानकी पुल। ==================== भारतीय चिंतन जगत में ‘जन्म’ को ले कर बड़ी बहस …

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