प्रसिद्ध लेखक-कवि श्यौराज सिंह बेचैन की कविताओं पर यह लम्बा लेख लिखा है युवा आलोचक सुरेश कुमार ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ================================ प्रसिद्ध दलित साहित्यकार श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ के रचना संसार को पढ़ना मेरे लिए दलित सभ्यता के विविध पड़ाव और जीवन की संघन यात्रा करने जैसा है। …
Read More »जूठन : अनुभव और अनुभूतियाँ
युवा आलोचक सुरेश कुमार के लेख हम सब पढ़ते रहे हैं। उनकी आलोचना दृष्टि के हम सब क़ायल रहे हैं। यह उनका नया लेख है जो ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा ‘जूठन’ पर है- ==================== ओमप्रकाश वाल्मीकि,मोहनदास नैमिशराय, श्यौराज सिंह बेचैन, सूरजपाल चौहान और तुलसीरम की आत्मकथाएं इस बात की …
Read More »डा.आंबेडकर और स्त्री मुक्ति का स्वप्न
आज बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर की जयंती पर पढ़िए युवा शोधार्थी सुरेश कुमार का लेख जो डॉक्टर आम्बेडकर के व्यक्तित्व के एक और विराट पहलू से साक्षात्कार करवाने वाला है- ======================== बीसवीं सदी के महान विचारक और सुधारक डा.भीमराव आंबेडकर अपने चिंतन में समाजिक समस्याओं पर सोचते हुए स्त्री समस्या पर …
Read More »पहले दलित क्रिकेटर पी. बालू, जिन्होंने भद्रजनों के बीच साबित की अपनी प्रतिभा
युवा शोधकर्ता सुरेश कुमार ने माधुरी पत्रिका में 1928 में प्रकाशित एक लेख के हवाले से पहले दलित क्रिकेटर पी बालू पर यह लेख लिखा है। आप भी पढ़िए उस महान खिलाड़ी के बारे में जो तब का खिलाड़ी था जब भारतीय क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली थी- ============== इसमें …
Read More »दलित लेखकों के मारक सवाल: सुरेश कुमार
युवा आलोचक सुरेश कुमार के लेख हम सब पढ़ते रहे हैं और उनकी दृष्टि के क़ायल भी रहे हैं। उनका यह लेख पाखी पत्रिका के जनवरी-फ़रवरी 2021 के अंक में प्रकाशित हुआ था। इस लेख को पत्रिका की तरफ़ से देश विशेषांक प्रतियोगिता में पुरस्कृत भी किया गया है। जिन …
Read More »इतिहास और कल्पना कोरस ‘राजनटनी’
गीताश्री के उपन्यास राजनटनी की विस्तृत समीक्षा लिखी है प्रखर युवा शोधार्थी सुरेश कुमार ने। यह उपन्यास हाल में ही राजपाल एंड संज प्रकाशन से आया है- =========== स्त्रीविमर्श की सिद्धांतकार गीताश्री ने शोध और अनुसंधान से चमत्कारित कर देने वाला ‘राजनटनी’ नामक इतिहासपरक उपन्यास लिखा है। यह उपन्यास अभी …
Read More »श्यौराज सिंह बेचैन की कहानियों का विमर्श
दलित साहित्यकारों में श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उनकी प्रिय कहानियों के संकलन ‘मेरी प्रिय कहानियाँ’ की कहानियों पर यह विस्तृत टिप्पणी लिखी है युवा अध्येता सुरेश कुमार ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ================== दलित विमर्श और साहित्यिक महारथियों के बीच श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ …
Read More »श्रीमती हेमन्त कुमारी देवी: उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध का स्त्री पक्ष
क्या उन्नीसवीं सदी को लेकर हिंदी साहित्य का जो विमर्श है वह इतना अधिक भारतेंदु हरिश्चन्द्र केंद्रित है कि अनेक लेखकों की उपेक्षा हुई? ख़ासकर लेखिकाओं की? युवा अध्येता सुरेश कुमार के इस शोधपरक लेख में पढ़िए- ===================== हिन्दी साहित्य में विमर्श के बिंदु भारतेन्दु की आभा के इर्द गिर्द …
Read More »उन्नीसवीं शताब्दी ‘स्त्री दर्पण’ और स्त्री शिक्षा
सुरेश कुमार 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध और 20 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में स्त्रियों से जुड़े विषयों पर लगातार लिखते रहे हैं। उनका शोध भी इसी काल पर है। इस लेख में उन्होंने 19 वीं शताब्दी के सातवें दशक में प्रकाशित पुस्तक ‘स्त्री दर्पण’ पर लिखा है। यह बताया है …
Read More »रख्माबाई: हिंदू कानून और बाल विवाह
19वीं सदी के उत्तरार्ध तथा 20 वीं सदी के पूर्वार्ध में स्त्री से जुड़े मुद्दों को लेकर सुरेश कुमार लगातार लिखते रहे हैं। यह लेख उन्होंने रख्माबाई पर लिखा है, जिन्होंने स्त्री अधिकारों को लेकर उल्लेखनीय लड़ाई लड़ी थी- =================== उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में भारत का शासन महारानी विक्टोरिया …
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