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Prabhat Ranjan

उनकी हँसी एक नाचीज लेखक पर शक्तिशालियों की हँसी है!

उदय प्रकाश द्वारा साहित्य अकादेमी पुरस्कार वापस करने की घोषणा पर अनेक तरह की प्रतिक्रियाएं आई. अधिकतर विद्वानों ने उनके इस निर्णय का स्वागत किया, जबकि कुछ विद्वानों ने इसे उनकी भूरि-भूरि निंदा करने के एक और अवसर के रूप में लिया. आज जाने-माने लेखक अरुण महेश्वरी के विचार जानते …

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यह अवसर वाद-वाद खेलने का नहीं है मिलकर प्रतिवाद करने का है!

कन्नड़ लेखक कलबुर्गी की नृशंस हत्या ने एक ऐसा अवसर पैदा किया है कि हिंदी लेखक वाद-वाद खेलने में जुट गए हैं. हालाँकि इस घटना का प्रतिरोध हिंदी लेखकों में जिस कदर दिखाई दे रहा है उससे यह आश्वस्ति होती है कि हिंदी की प्रतिरोध क्षमता अभी कम नहीं हुई …

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फर्नलोज- मसूरी की स्मृति

नीता गुप्ता कम लिखती हैं लेकिन उनके यात्रा वृत्तांतों का अपना अलग ही अंदाज है, मसूरी के जुड़ी यादों का यह संस्मरण पढ़ कर लगा कि साझा किया जाए. मितकथन का सौन्दर्य उनके गद्य की विशेषता है. पढियेगा- मॉडरेटर  ==================== मसूरी को कई नामों से पुकारा जाता है–कोई इसे ‘क्वीन …

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प्रेम, जूनून, जाति, व्यवस्था और ‘मांझी’

फिल्म ‘मांझी: द माउन्टेनमैन’ की कई समीक्षाएं पढ़ी. युवा लेखिका विभावरी की यह टिप्पणी उस फिल्म पर सबसे सम्यक लगी, फिल्म के बहाने उस पूरे राजनीतिक सामाजिक सन्दर्भों के साथ जिसमें दशरथ मांझी पैदा हुए. जरूर पढ़ा जाने लायक आलेख- मॉडरेटर============================ इस फिल्म पर लिखने से पहले मेरा इतने पशोपेश …

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भार से अधिक लड़ना पड़ा हल्केपन से

आज कुछ कविताएं अच्युतानंद मिश्र की. युवा कविता में अच्युतानंद मिश्र का नाम जाना पहचाना नाम है. गहरे राग से उपजी उनकी कविताएँ में विराग का विषाद है, लगाव में अ-लगाव का कम्पन. अलग रंग, अलग ढंग की कविताएं- मॉडरेटर  ============================== 1. बिडम्बना भार से अधिक लड़ना पड़ा हल्केपन से …

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कृपया मातृत्व का झूठा महिमा मंडन न करें

वैचारिक मासिक रविवार के अगले अंक में मातृत्व को ले कर एक रोचक बहस आ रही है। सविता पाठक का कहना है कि मातृत्व कोई इतनी बड़ी चीज नहीं    कि उसके लिए करियर की बलि दे जाए। मातृत्व बांधता है, जबकि करियर मुक्त करता है। लोग एक तरफ मातृत्व का …

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‘हम, तुम और वो ट्रक’ अनुवाद की उपलब्धि की तरह है

चीनी लेखक मो यान को 2012 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला तो उनके उपन्यासों की मांग चीन के बाहर बढ़ गई. नोबेल मिलने से पहले ही भारतीय प्रकाशक सीगल बुक्स ने उनकी किताबें प्रकाशित कर रखी थी. सीगल बुक्स से प्रकाशित ‘चेंज’ नामक उपन्यास का हिंदी अनुवाद यात्रा बुक्स …

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तेजेंद्र शर्मा की ग़ज़लें

हिंदी प्रवासी कहानी के एक तरह से पर्याय बन चुके तेजेंद्र शर्मा ग़ज़लें भी लिखते हैं हाल में ही पता चला. उनकी गज़लों का छंद, उसकी रवानी इतनी पसंद आई कि सोचा आप लोगों से साझा किया जाए- प्रभात रंजन  ================================================================== 1. थक गया हूं अब तो मैं, दिन रात …

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सानदार प्रेम, जबरजस्त पहाड़ और जिंदाबाद नवाज़!

फिल्म ‘मांझी: द माउन्टेनमैन’ की एक बढ़िया समीक्षा युवा लेखक नवल किशोर व्यास ने लिखी है. फिल्म के हर पहलू से, हर नजरिये से- मॉडरेटर  =============================== नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी के लाजवाब अभिनय से सजी ‘मांझी- दा माउंटेन मैन’ केतन मेहता की अब तक की सबसे अलग पर बहुत हद तक प्रभावशाली …

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जगजीत सिंह की जीवनी ‘बात निकलेगी तो फिर’ का एक चुनिन्दा अंश

हाल में ही ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह की जीवनी आई है. सत्या सरन की लिखी यह जीवनी ‘बात निकलेगी तो फिर’ हार्पर कॉलिन्स से आई है और इसका हिंदी अनुवाद मैंने किया है. एक चुनिन्दा अंश उसी पुस्तक से जिसका सम्बन्ध जगजीत सिंह के आरंभिक दिनों से है- प्रभात रंजन  …

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