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Prabhat Ranjan

काफ़िर जिसे सुन नहीं सकते

गिरिराज किराडू की कविताएँ बगैर किसी हो-हल्ले के, बगैर कोई चीख-पुकार मचाये बहुत कुछ कह जाती हैं. ८ जुलाई की शाम इण्डिया हेबिटेट सेंटर में ‘कवि के साथ’ में दिल्लीवालों के लिए इस निराले कवि को सुनने का अवसर होगा जो कविता में सहजता का कायल है. हिंदी की दूसरी …

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बच्चन सिनेमा और उसकी ईर्ष्यालु संतति

अनुराग कश्यप ने सिनेमा की जैसी बौद्धिक संभावनाएं जगाई थीं उनकी फ़िल्में उन संभावनाओं पर वैसी खरी नहीं उतर पाती हैं. ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ का भी वही हाल हुआ. इस फिल्म ने सिनेमा देखने वाले बौद्धिक समाज को सबसे अधिक निराश किया है. हमारे विशेष आग्रह पर कवि-संपादक-आलोचक गिरिराज किराडू ने …

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अब मनोरंजन के लिए कोई कहानी नहीं लिखता

स्वयंप्रकाश का नाम हिंदी कहानी में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. उनसे यह बातचीत वरिष्ठ कवि नन्द भारद्वाजने की है. प्रस्तुत है कवि-कथाकार की यह दुर्लभ बातचीत- जानकी पुल. ============================================================ नंद भारद्वाज – प्रकाश, आप सातवें और आठवें दशक की हिन्‍दी कहानी में न केवल एक कथाकार के बतौर …

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उत्तर-आधुनिक परिदृश्य में प्रो-एक्टिव विवेक

गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु सुधीश पचौरी की याद आई तो युवा विमर्शकार विनीत कुमार के इस लेख की भी जो उन्होंने पचौरी साहब की आलोचना पर लिखी है. संभवतः उनकी आलोचना पर इतनी गंभीरता से लिखा गया यह पहला ही लेख है. यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी पत्रिका …

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आपके चारों तरफ बस आईने ही आईने हैं

अरुण प्रकाश एक सशक्त कथाकार ही नहीं थे बल्कि एक संवेदनशील कवि भी थे. आज उनकी दो गजलें और एक कविता प्रस्तुत है. जिन्हें उपलब्ध करवाने के लिए हम युवा कवि-संपादक सत्यानन्द निरुपम के आभारी हैं- जानकी पुल.  =========== 1.  सिले होंठों से वही बात कही जाती है  ख़ामोशी चुपचाप …

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यह सिर्फ एक शख्स के जाने का शोक नहीं था

अरुण प्रकाश को याद करते हुए यह कविता हमारे दौर के महत्वपूर्ण कवि प्रियदर्शन ने लिखी है. प्रियदर्शन की यह कविता केवल अरुण प्रकाश को श्रद्धांजलि ही नहीं है दिल्ली के ठंढे पड़ते साहित्यिक माहौल को भी एक तरह से श्रद्धांजलि है. कविता को पढकर मैं तो बहुत देर तक …

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चुपचाप लिखने वाले अमर गोस्वामी चुपचाप चले गए

दुःख होता है. हम लेखक अपने लेखक समाज से कितने बेखबर होते जा रहे हैं. अमर गोस्वामी चले गए, हमारा ध्यान भी नहीं गया. मेरा भी नहीं गया था. सच कहूँ तो मैंने भी उनका अधिक कुछ नहीं पढ़ा था. लेकिन उनको जानता था, उनके बारे में जानता था. पहली …

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वे दुनिया से अपनी दुखती रग छुपाकर रखते थे

अरुण प्रकाश ऐसे लेखक थे जो युवा लेखकों से नियमित संवाद बनाये रखते थे. इसलिए उनके निधन के बाद युवाओं की टिप्पणियां बड़ी संख्या में आई. आज युवा लेखिका सोनाली सिंह ने उनको याद करते हुए लिखा है- जानकी पुल. ======================== मुझे याद है जब अरुण जी से मेरी पहली …

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गैंग्स आफ डिसबैलेन्सपुर वाया मेडिटेशन

अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ की पब्लिसिटी रिलीज होने से पहले से ही कुछ ‘चवन्नी छाप’ फिल्म समीक्षकों ने इतनी कर दी थी कि फिल्म से बड़ी उम्मीदें बन गई थीं. बहरहाल, अनुराग असल में मीडिया हाइप के निर्देशक हैं. भाई लोगों का बस चले तो उसे हिंदी …

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हमारी ‘छोटी’ लड़ाई की गरदन पर आपके ‘साथ’ का ज्ञानपीठीय हाथ

युवा लेखक गौरव सोलंकी का यह लेख मूल रूप से ‘जनसत्ता’ में प्रकाशित प्रियदर्शन के लेख की प्रतिक्रिया में लिखा गया था. प्रसंग पुराना है लेकिन समस्या वही है- भारतीय ज्ञानपीठ का मनमानापन. वह लेख प्रस्तुत है गौरव सोलंकी की भूमिका के साथ- जानकी पुल. ======================================================================== मूलत: यह लेख (इसका छोटा …

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