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Prabhat Ranjan

हिंदी साहित्य और हिंदी के डॉक्टर: प्रमोद रंजन

प्रमोद रंजन का यह लेख एक साहित्योत्सव के पोस्टर से शुरु होकर सृजनशीलता और मौलिकता क्या है, जैसे बड़े सवालों को उठाता है। प्राध्यापकों की कुंठा और रीढ़विहीनता की भी इसमें अच्छी खबर ली गई है। पढ़िए– ======================== हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में एक साहित्य उत्सव हो रहा है। उसका पोस्टर …

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मेरी माँ बढ़िया जलेबी बनाती थी, मैं कहानियों की जलेबियाँ उतारती हूँ- अलका सरावगी

आज पढ़िए प्रसिद्ध लेखिका अलका सरावगी और कवि-कथाकार अर्पण कुमार की बातचीत- =============================================== अपनी दादी से गहरे जुड़ी अलका के भीतर पीढ़ियों से जुड़ाव के सूत्र दरअसल उनके बचपन से जुड़ते हैं। लीक से हटकर सोचने-चलने वाली कथाकार की कथा पुरानी है और अपने आसपास की साधन-संपन्नता और उसकी चकाचौंध …

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         मानव जीवन की परतें खोलतीं ‘फटी हथेलियाँ’

आज पढ़िए नेहा नरुका के कविता संग्रह ‘फटी हथेलियाँ’ पर यह विस्तृत टिप्पणी, लिखा है युवा लेखिका अनु रंजनी ने। यह संग्रह राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित है- ======================== यदि कोई स्त्री, स्त्री अधिकारों, उसके संघर्षों की बात करे तो बहुत आसानी से उस पर पक्षपात का आरोप लगा दिया जाता …

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राजकमल प्रकाशन समूह की टॉप-सेलर लिस्ट और साहित्य

फरवरी, 2024 में हिंदी के सबसे बड़े प्रकाशक राजकमल प्रकाशन समूह ने पिछले 10 साल में प्रकाशित टॉप सेलर किताबों की सूची जारी की। सूची में 21 किताबें हैं। इन किताबों पर नजर डाल कर हम हिंदी प्रकाशन व्यवसाय और पाठकीयता की प्रकृति  को समझने की कोशिश कर  सकते हैं। …

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‘जो क़ौम भुला देती है तारीख़ को अपने’

आज दिनांक 8/2/2024 को दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज(सांध्य) में विकसित भारत@2047 से जुड़े कार्यक्रमों की शृंखला का उद्घाटन करते हुए केरल के राज्यपाल श्री आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने कहा कि हमें अपने अतीत के गौरव को याद करते रहना चाहिए इससे भविष्य के निर्माण की प्रेरणा मिलती …

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प्रदीप दाश के उपन्यास ‘चरु, चीवर और चर्या’ का अंश

बड़े दिनों बाद एक दिलचस्प ऐतिहासिक उपन्यास पढ़ा- ‘चरु, चीवर और चर्या’। लेखक हैं प्रदीप दाश। उपन्यास की पृष्ठभूमि बौद्ध धर्म है, मध्यकाल से पहले के दौर में उड़ीसा में धर्मों का द्वंद्व किस तरह चल रहा था, उसमें राज्य की भूमिका कैसी थी? सब कुछ बहुत रोचक तरीक़े से …

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अनछुए चरित्र, विस्मित कर देनेवाले किरदार

जाने माने कथाकार-कवि हरि मृदुल का कहानी संग्रह ‘हंगल साहब ज़रा हँस दीजिए’  पिछले साल आया था। उसके बारे में प्रसिद्ध लेखिका अलका सरावगी की यह टिप्पणी पढ़िए। संग्रह आधार प्रकाशन से प्रकाशित है- ========================== हरि मृदुल की कहानियां समकालीन जीवन-जगत को एकदम अलग कोणों से पकड़ती हैं। अपने कथ्य, …

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‘अग्निकाल; सल्तनतकालीन सिपहसालार मलिक काफ़ूर की कहानी’ का एक अंश

पेंगुइन स्वदेश से किताब आई है ‘अग्निकाल; सल्तनतकालीन सिपहसालार मलिक काफ़ूर की कहानी’। युगल जोशी की इस किताब का एक अंश पढ़िए- ======================= माणिक की आँखों में आँसू और अंगारे दोनों ही थे। पर अब खोने को क्या बाकी था? ‘इतना ही वीर पुरुष है तो हाथ खोल दे मेरे, …

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पंकज दुबे के उपन्यास ‘इश्क़ बाक़ी’ का एक अंश

पंकज दुबे उन लेखकों में हैं जिन्होंने दो भाषाओं में लिखना शुरू किया। जिस जमाने में जब विनर की कहानियाँ लिख रहे थे उन्होंने ‘लूज़र कहीं का’ का लिखा, उसके बाद उन्होंने हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में कुछ और उपन्यास लिखे  और जिनको पाठकों का प्यार भी मिला। उनका …

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हमें नई राजनीतिक भाषा की जरूरत है

आज पढ़िए प्रसिद्ध समाजविज्ञानी और भारत जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक योगेन्द्र यादव का लेख। यह लेख भारतीय गणतंत्र पर है और द प्रिंट में प्रकाशित हो चुका है। आपके लिये साभार- ====================== अंग्रेजी की कहावत है: किंग इज डेड, लॉन्ग लिव द किंग” (`राजन नहीं रहे, राजन जिन्दाबाद`). इसी तर्ज पर 26 जनवरी को …

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