अलेक्सान्द्र पूश्किन को हम एक कवि के रूप में जानते हैं. लेकिन उन्होंने कहानियां भी लिखी. उनकी प्रेम कहानियों का अनुवाद आ. चारुमति रामदास जी किया है, जो पुस्तकाकार प्रकाशित है. उसी पुस्तक से एक कहानी- मॉडरेटर =================================================================== सन् 1811 के अंत में, उस अविस्मरणीय कालखण्ड में, नेनारादवा जागीर में गव्रीला …
Read More »चारुमति रामदास अनूदित अलेक्सांद्र कूप्रिन के उपन्यास ‘द डुअल’ का एक हिस्सा
अलेक्सांद्र कूप्रिन (1870-1938) एक प्रसिद्ध रूसी लेखक थे. यहाँ दिया गया हिस्सा कूप्रिन के सबसे प्रसिद्ध उपन्यास द डुअल से लिया गया है। इस हिस्से को पढ़ते हुए आपको अहसास होगा कि टाल्सटाय ने क्यों कूप्रिन को चेखब का सही उत्तराधिकारी कहा था। चारुमति रामदास के द्वारा इस तर्जुमा को …
Read More »सुशील कुमार भारद्वाज की कहानी “जाति बदल लीजिए”
सुशील कुमार भारद्वाज ने बहुत कम समय में पटना के साहित्यिक परिदृश्य पर अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज की है. पेशे से अध्यापक हैं और उनकी कहानियों में बिहार के सामाजिक जीवन के ‘स्लाइसेज‘ होते हैं. उनको पढ़ते हुए बिहार का समकालीन समाज समझ में आता है. जानकीपुल पर आज है …
Read More »वंदना राग की कहानी ‘अम्मा की डायरी’
आज मदर्स डे है. समकालीन दौर की सबसे संवेदनशील कथाकार वंदना राग की यह कहानी पढ़िए. पढ़ते पढ़ते मुझे अपनी माँ से मिलने का मन हो गया. मन पर गहरी छाप छोड़ने वाली कहानी- मॉडरेटर ============================================== मेरी अम्मा को लिखना नहीं …
Read More »स्त्री विमर्श की नई बयानी की कहानी ‘लेडिज सर्किल’
हिंदी के स्त्रीवादी लेखन से एक पाठक के रूप में मेरी एक शिकायत है कि अब यह बहुत प्रेडिक्टेबल हो गई हैं. लिफाफा देखते ही मजमून समझ में आने लगता है. ऐसे में गीताश्री की कहानी ‘लेडिज सर्किल’ चौंकाती है. शुरू में मुझे लगा था कि इसमें भी वही शोषण, …
Read More »अनुकृति उपाध्याय की कहानी ‘जानकी और चमगादड़’
अनुकृति उपाध्याय एक प्रतिष्ठित वित्त संस्थान में काम करती हैं. हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखती हैं. यह कहानी बड़ी संवेदनशील लगी. बेहद अच्छी और अलग तरह के विषय पर लिखी गई. आप भी पढ़कर राय दीजियेगा- मॉडरेटर ========================================== पीपल का वह वृक्ष उस रिहायशी इमारत के विस्तृत प्रांगण …
Read More »सूरज बड़त्या की कहानी ‘कबीरन’
हाल के वर्षों में दलित साहित्य में सूरज बड़त्या ने अच्छी पहचान बनाई है. आज उनकी एक कहानी आपके लिए- मॉडरेटर ======================================================= अक्सर वह सुमेघ को ट्रेन में दिखायी दे जाती थी। कभी अपने ग्रुप में तो कभी अकेली। सुमेघ उसे देख अपने पास बुला लेता या वह खुद ही चली …
Read More »पूनम अरोड़ा की कहानी ‘स्मृतियों की देह में पूर्वजों के कांपते शोकगीत’
श्री के नाम से लिखने वाली पूनम अरोड़ा अपनी कहानियों में एक ऐसा लोक रचती हैं जो बार बार अपनी ओर खींचता है। कई कहानियाँ अपने परिवेश, अपनी भाषा के लिए भी पढ़ने का मन करता है। इस लिहाज से पूनम अपने दौर की सबसे अलग लेखिका हैं- मॉडरेटर ================== …
Read More »रामकुमार की कहानी ‘चेरी के पेड़’
आज मूर्धन्य चित्रकार रामकुमार का निधन हो गया. 94 साल की भरपूर जिंदगी जीकर जाने वाले रामकुमार बहुत अच्छे कथाकार भी थे. वे हिंदी के महान लेखक निर्मल वर्मा के बड़े भाई थे. उनके अनेक समकालीन लेखक यह मानते थे कि निर्मल जी रामकुमार की परम्परा के लेखक थे. रामकुमार …
Read More »ज़रूरी था कि हम दोनों तवाफ़-ए-आरज़ू करते…
लखनऊ के रहने वाले युवा लेखक स्कन्द शुक्ल पेशे से डॉक्टर हैं। स्कन्द शुक्ल की रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके साथ ही दो उपन्यास ‘परमारथ के कारने’ और ‘अधूरी औरत’ भी छप चुकी हैं। ये सोशल मीडिया पर अनेकानेक वैज्ञानिक और स्वास्थ्य-समाज सम्बन्धी लेखों-जानकारियों के माध्यम से काफ़ी सक्रिय हैं। इकारस …
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