साल के आखिरी कुछ दिन बचे हैं. मैं कुछ नहीं कर रहा. कविताएं पढ़ रहा हूँ. जो अच्छी लगती हैं आपसे साझा करता हूँ. आज रामजी तिवारी की कविताएं. उनकी कविताओं से हम सब परिचित रहे हैं. देखिये इस प्रतिबद्ध कवि की नई कविताएं कैसी बन पड़ी हैं- प्रभात रंजन …
Read More »गिरिराज किराडू की नई कविताएं
गिरिराज किराडू मेरी पीढ़ी के उन कवियों में हैं जिनकी कविताओं ने मुझे हमेशा प्रभावित किया है. उनका अपना एक विशिष्ट मुहावरा है और शब्दों का संयम. आज उनकी कुछ नई कविताएं- प्रभात रंजन ==== ==== मिस्टर के की दुनिया: पिता होने की कोशिश के बारे में कुछ कविताएँ गिरिराज …
Read More »बीतता साल और हिंदी किताबों के नए ट्रेंड्स
हिंदी किताबों की दुनिया में पाठकों से जुड़ने की आकांक्षा पहले से बढ़ी है, इस दिशा में पहले भी प्रयास होते रहे हैं, लेकिन इस साल इस दिशा में कुछ लेखकों, प्रकाशकों ने निर्णायक कदम उठाये. जिसके बाद यह कहा जा सकता है कि आने वाले सालों में हिंदी किताबों …
Read More »हँसी-मजाक में गंभीर सन्देश देती फिल्म है ‘पीके’
कवयित्री अंजू शर्मा ने फिल्म ‘पीके’ पर एक सम्यक टिप्पणी की है. फिल्म के बहाने उसके आगे-पीछे उठने वाले सवालों से भी उलझती हुई चली हैं. एक पढ़ी जाने लायक टिप्पणी है. मेरे जैसे लोगों के लिए भी जिन्होंने अभी तक यह फिल्म नहीं देखी है- प्रभात रंजन ============================= पिछले …
Read More »पाठक की भूख को शांत करने वाला साहित्य वार्षिकांक ‘दीप भव’
‘लोकमत समाचार’ की साहित्य वार्षिकी ‘दीप भव’ का इन्तजार बना रहता है. इसलिए नहीं कि उसमें मेरी रचना छपी थी. वह तो हर बार नहीं छपती है न. लेकिन पीछे 4-5 सालों से यह वार्षिकी हर बार निकल रही है. इन्तजार इसलिए रहता है कि यह भीड़ से हटकर होता …
Read More »वतन ऐसे रहेगा कब तलक आबाद मौलाना
दिलीप कुमार के पेशावर को याद रखने का एक दूसरा दर्दनाक सिलसिला बन गया. दोनों मुल्कों के इतिहास का सबसे काला दिन बन गया 16 दिसंबर 2014. दो ग़ज़लें मशहूर गजलगो सुशील सिद्धार्थ ने उस घटना को याद करते हुए लिखी है. भरे मन से यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ- …
Read More »मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूं हिंदी मुस्कुराती है
आज हिंदी के दुःख को उर्दू ने कम कर दिया- कल साहित्य अकादेमी पुरस्कार की घोषणा के बाद किसी मित्र ने कहा. मेरे जैसे हजारों-हजार हिंदी वाले हैं जो मुनव्वर राना को अपने अधिक करीब पाते हैं. हिंदी उर्दू का यही रिश्ता है. हिंदी के अकादेमी पुरस्कार पर फिर चर्चा …
Read More »शैलप्रिया से नीलेश रघुवंशी तक
पिछले इतवार को रांची में शैलप्रिया स्मृति सम्मान का आयोजन हुआ था. इस आयोजन पर कल बहुत अच्छी रपट हमने प्रस्तुत की थी, कलावंती जी ने लिखा था. आज उस आयोजन के मौके पर ‘समकालीन महिला लेखन का बदलता परिदृश्य’ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया इस गोष्ठी …
Read More »दूसरा शैलप्रिया स्मृति पुरस्कार: एक रपट
यह हम हिंदी वालों का लगता है स्वभाव बन गया है- जो अच्छा होता है उसकी ओर हमारा ध्यान कम जाता है. रांची में ‘शैलप्रिया स्मृति पुरस्कार’ ऐसी ही एक बेहतर शुरुआत है. इस गरिमामयी सम्मान का यह दूसरा आयोजन था, जिसकी एक रपट हमारे लिए भेजी है कवयित्री कलावंती …
Read More »रायपुर का रायचंद
मेरे प्रिय व्यंग्यकार-कवि अशोक चक्रधर ने रायपुर साहित्योत्सव से लौटकर अपने प्रसिद्ध स्तम्भ ‘चौं रे चम्पू’ में इस बार उसी आयोजन पर लिखा है. आप भी पढ़िए- प्रभात रंजन ===================================================== –चौं रे चम्पू! तू रायपुर साहित्य महोत्सव में गयौ ओ, कौन सी चीज तोय सबते जादा अच्छी लगी? –चीज़ से …
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