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बर्बाद जीनियस थे(हैं) ब्रजेश्वर मदान

ब्रजेश्वर मदान को मैं तब से जानता था जब डीयू में पढ़ते हुए फ्रीलांसिंग शुरू की थी. दरियागंज में ‘फ़िल्मी कलियाँ’ के दफ्तर में उनसे मिलने जाया करता था. वे उसके संपादक थे. मनोहर श्याम जोशी से जब बाद में मिलना हुआ और उनसे एक गहरा नाता बना तो वे …

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अशोक वाजपेयी आज 74 साल के हो गए

अगर हिंदी का कोई गणतंत्र है तो वे उसकी राजधानी हैं. वे हिंदी के विकेंद्रीकरण के सबसे बड़े प्रतीक हैं. वे हिंदी के भोपाल हैं, पटना हैं, रायपुर हैं, जयपुर हैं, मुम्बई हैं नागपुर हैं. वे हिंदी की संकुचन के नहीं विस्तार के प्रतीक हैं. वही अशोक वाजपेयी आज 74 …

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फौज़िया रेयाज़ की कहानी ‘पिंक का कर्ज़’

फौज़िया रेयाज़ बिलकुल आज की लेखिका हैं. आज के जेनेरेशन की सोच, भाषा, विषय- हिंदी में कहानियां कितनी बदल रही है यह उनकी कहानियों को भी पढ़ते हुए समझा जा सकता है. जैसे कि उनकी उनकी यह कहानी- मॉडरेटर  ======================= कभी हर कोई हर किसी का होता होगा पर मीरा …

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किंब, कांगड़ी और मेवों का मौसम

लोहड़ी को आमतौर पर पंजाबी संस्कृति का त्यौहार माना जाता है. लेकिन इस लेख में लेखिका योगिता यादव ने यह बताया है कि किस तरह लोहड़ी जम्मू की संस्कृति का भी अहम् हिस्सा रहा है. तो इस बार जम्मू से हैप्पी लोहड़ी- मॉडरेटर  ==========  एक बार रेवाड़ी के मेरे एक …

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स्वामी विवेकानंद की जयंती पर एक प्रेरक किस्सा

आईआईटी से विज्ञान पढ़कर प्रचण्ड प्रवीर जब से गल्प की दुनिया में आये हैं तब से किस्सों की झड़ी लगा दी है उन्होंने. कहते हैं कि सारे देशी संस्थान विदेशी विज्ञान पढ़ाते हैं. इसलिए अब मेरी उनमें रूचि कम होती जा रही है. किस्से-कहानियों की दुनिया में आये ही इसलिए …

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गाँव, विकास और रंगमंच

गाँव के रंगमंच को लेकर एक बड़ा रोचक और दुर्लभ किस्म का संस्मरण लिखा है युवा रंग समीक्षक अमितेश कुमार ने. लम्बे लेख का एक छोटा सा अंश प्रस्तुत है. आप भी आनंद लीजिये- मॉडरेटर  =================================== शुरूआत हुई थी 2005 में. अपने गांव वाले घर में चोरी होने के कारण …

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सुकृता पॉल कुमार की कविताएं

सुकृता पॉल कुमार ने इतनी विधाओं में इतना अच्छा काम किया है कि उनके किसी भी एक रूप का परिचय अधूरा होगा. अंग्रेजी-उर्दू-हिंदी भाषाओं के सेतु की तरह वे पिछले कई दशकों से साहित्य में सक्रियता की एक मिसाल हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी भाषा की प्रोफ़ेसर सुकृता पॉल कुमार …

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क्रोध भाव और रौद्र रस : विश्व की महान फ़िल्में

इधर हम फिल्मों के वाद-विवाद में लगे हुए थे आईआईटी पलट युवा लेखक प्रचंड प्रवीर रस सिद्धांत के आधार पर विश्व सिनेमा के विश्लेषण में लगे हुए थे. यह अपने ढंग की अकेली श्रृंखला है जिसमें रसों के आधार पर सिनेमा के साधारणीकरण को देखा गया है. आज रौद्र रस …

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कलावंती की कविताएं

जानकी पुल पर साल की शुरुआत करते हैं कुछ सादगी भरी कविताओं से. कलावंती की कविताओं से. कलावंती जी की कविताओं में हो सकता है शिल्प का चमत्कार न दिखे, भाषा का आडम्बर न दिखे लेकिन जीवन में, जीवन के अनुभवों में गहरे रची-बसी हैं उनकी कविताएं. पढ़कर देखिये- मॉडरेटर  …

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बातों-मुलाकातों में मनोहर श्याम जोशी

मनोहर श्याम जोशी की किताब ‘बातें-मुलाकातें: आत्मपरक-साहित्यपरक’ मेरे पास मार्च से है लेकिन इसके ऊपर लिख आज रहा हूँ. यही होता है जो लेखक हमारे सामने होता है हम उसी के ऊपर लिखते रहते हैं, शाबासी के लिए, मिल जाए तो रेवड़ियों के लिए. आज लिखते हुए मैं यही सोचता …

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