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एक संत के सफल कारोबारी बनने की कहानी

प्रियंका पाठक-नारायण की गॉडमैन टू टायकून: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बाबा रामदेव . इस किताब पर रोक लगाने के लिए केस हुआ. कड़कड़डूमा अदालत द्वारा किताब पर से रोक हटाए जाने के बाद जगरनॉट बुक्स इस किताब को अपने ऐप पर निशुल्क लेकर आया है. पिछले साल यह रोक दिल्ली की एक …

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लिटरेरी एजेंट और हिंदी का प्रकाशन जगत

सदन झा इतिहासकार हैं. सेंटर फॉर सोशल स्टडीज, सूरत में एसोसियेट प्रोफ़ेसर हैं. उनका यह लेख हिंदी के ‘पब्लिक स्फेयर’ की व्यावहारिकताओं और आदर्शों के द्वंद्व की अच्छी पड़ताल करता है और कुछ जरूरी सवाल भी उठाता है. एक बहसतलब लेख- मॉडरेटर ============================ चंद रोज पहले मैंने अपने फेसबुक वाल …

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अनुकृति उपाध्याय की कहानी ‘जानकी और चमगादड़’

अनुकृति उपाध्याय एक प्रतिष्ठित वित्त संस्थान में काम करती हैं. हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखती हैं.  यह कहानी बड़ी संवेदनशील लगी. बेहद अच्छी और अलग तरह के विषय पर लिखी गई. आप भी पढ़कर राय दीजियेगा- मॉडरेटर ========================================== पीपल का वह वृक्ष उस रिहायशी इमारत के विस्तृत प्रांगण …

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मशहूर डिज़ाइनर और रंगनिर्देशक बंसी कौल से व्योमेश शुक्ल की बातचीत

आजकल बेस्टसेलर की चर्चा बहुत है. अच्छी बात है लेकिन इस बीच हिंदी में जो बेस्ट हो रहा है हमें उसको भी नहीं भूलना चाहिए. नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए. कोई भी भाषा अपनी विविधता से समृद्ध होती है. आज जाने माने रंगकर्मी बंसी कौल से व्योमेश शुक्ल की बातचीत. व्योमेश …

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‘बेचैन बंदर’ के बहाने कुछ बातें विज्ञान, धर्म और दर्शन को लेकर

आम तौर पर विज्ञान को लेकर आम पाठकों के लिए कम किताबें लिखी जाती हैं. लिखी जाती हैं तो आम पाठकों तक उनकी सूचना पहुँच नहीं पाती हैं. फेसबुक पर भी बहुत लोग यह काम कर रहे हैं. ऐसी ही एक किताब ‘बेचैन बन्दर’ पर यह टिप्पणी लिखी है राकेश …

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एक भुला दी गई किताब की याद

धर्मवीर भारती के उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ को सब याद करते हैं लेकिन उनकी पहली पत्नी कांता भारती और उनके उपन्यास ‘रेत की मछली’ का नाम कितने लोगों ने सुना है? असल में यह उपन्यास टूटते-बिखरते दांपत्य को लेकर है. कहा जाता है कि आत्मकथात्मक भी है. आज उसी उपन्यास …

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अकेलेपन और एकांत में अंतर होता है

‘अक्टूबर’ फिल्म पर एक छोटी सी टिप्पणी सुश्री विमलेश शर्मा की- मॉडरेटर ============================================ धुँध से उठती एक महीन धुन,शाख़ पर खिलता फूल , टूट कर बिखरता चाँद हो या फिर पत्तों की सरसराहट ; दरअसल भाषायी संस्कारों में ये सभी प्रकृति की अद्भुत लीला के प्रतीक भर हैं। इस लीला …

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बिहार संवादी ने बिहार साहित्य में खींच दी एक दीवार

बिहार की राजधानी पटना में संपन्न हुए ‘जागरण संवादी’ अनेक कारणों से वाद-विवाद में बना रहा. तमाम चीजों के बावजूद मैं यह कह सकता हूँ कि पहले ही साल बिहार में ‘जागरण संवादी’ ने खुद को एक ब्रांड के रूप में स्थापित कर लिया है. अगर मैथिली के प्रति आयोजकों …

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‘बौद्धिक स्लीपर सेल‘, जो पूरा परिदृश्य बदल दे

पुष्प रंजन ईयू-एशिया न्यूज़ के नई दिल्ली संपादक हैं और हिंदी के उन चुनिन्दा पत्रकारों में हैं जिनकी अंतरराष्ट्रीय विषयों पर पकड़ प्रभावित करती है. मेरे जैसे हिंदी वालों के लिए बहुत ज्ञानवर्धक होती है. उनका यह लेख ‘देशबंधु’ में प्रकाशित हुआ था. वहीं से साभार- प्रभात रंजन ======================  देश कठुआ …

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सूरज बड़त्या की कहानी ‘कबीरन’

हाल के वर्षों में दलित साहित्य में सूरज बड़त्या ने अच्छी पहचान बनाई है. आज उनकी एक कहानी आपके लिए- मॉडरेटर ======================================================= अक्सर वह सुमेघ को ट्रेन में दिखायी दे जाती थी। कभी अपने ग्रुप में तो कभी अकेली। सुमेघ उसे देख अपने पास बुला लेता या वह खुद ही चली …

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