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‘मैला ‘आँचल’ बड़ी रचना है या ‘परती परिकथा’

फणीश्वरनाथ रेणु और मार्केज़ दोनों के जन्मदिन आसपास पड़ते हैं. दोनों के लेखन में एक समानता थी कि दोनों ने ही ग्लोबल के बरक्स लोकल को स्थापित किया. यह अलग बात है कि रेणु जी हिंदी के लेखक थे इसलिए उनकी व्याप्ति वैसी नहीं हो पाई. लेकिन पाठकों के बीच …

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शहबाज़ रिज़वी की ग़ज़लें

कहते हैं- इंसान उम्र नहीं तजरबा से बड़ा होता है। जो शायर अपने तजरबे को जितनी ख़ूबसूरती से क्राफ़्ट में ढालता है, उसकी शायरी उतनी ही चमक रखती है। मौजूदा वक़्त में जहाँ हर कोई अपने जज़्बात का बयान लिखकर कर ज़ाहिर करने पर अमादा है, ऐसे में बहुत कम …

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मार्केज़ एक बीते हुए जीवन को फिर से सृजित करने की ज़िद करते हुए लिखते रहे

आज गाब्रिएल गार्सिया मार्केज़ का जन्मदिन है. कुछ साल पहले उनको याद करते हुए यह लेख शिव प्रसाद जोशी ने लिखा था. तब न पढ़ा हो तो अब पढ़ लीजियेगा- मॉडरेटर ========================= ”लोग सपने देखना इसलिये बंद नहीं करते कि वे बूढ़े होते जाते हैं,वे तो बूढ़े ही इसलिये होते …

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मार्केज़ की बताई जाने वाली कविता ‘द पपेट’ हिंदी में

साहित्य के नजरिये को बदल कर रख देने वाले लेखक गैब्रिएल गार्सिया मार्केज़ का आज जन्मदिन है. उनके असाधारण गद्य लेखन से हम सब अच्छी तरह से परिचित हैं. लेकिन उन्होंने कविता भी लिखी थी यह कम लोगों को पता होगा. वैसे यह कविता उनकी है या नहीं इसको लेकर …

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नीलगाय इज़ नॉट ए कूल टॉपिक!

ट्रेन से बिहार जाने की मेरी यादों में यह भी है कि ट्रेन जब सुबह के समय यूपी बिहार की सीमा के आसपास होती थी तो खेतों में नीलगायें दिखाई देती थीं. पिछले कई दशकों में मैंने खेतों में उन नीलगायों का कम होते जाना देखा है. प्रतिष्ठा सिंह ने …

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राकेश रंजन की कविता ‘बनारस में’

इस साल अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक मेले दिल्ली में राधाकृष्ण प्रकाशन से राकेश रंजन का का कविता संग्रह आया ‘दिव्य कैदखाने में’. कई अच्छी अच्छी कविताएँ हैं इसमें लेकिन आज इस कविता ने ध्यान खींचा. साथ में एक और छोटी सी कविता- मॉडरेटर ========== बनारस में स से सांड, साड़ी, सुरसरि, सीढ़ी, …

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मार्केज़ की कहानी ‘सफ़ेद बर्फ़ पर लाल खून की धार’

कल हमने गाब्रिएल गार्सिया मार्केज़ की बातचीत पढ़ी थी. आज उनकी एक कहानी का अनुवाद पढ़ते हैं. विजय शर्मा जी ने उनकी एक कहानी का अनुवाद किया है जिसके अंग्रेजी अनुवाद का शीर्षक है ‘द ट्रेल ऑफ़ योर ब्लड इन द स्नो’. कहानी मार्केज़ की अप्नी ख़ास ‘जादुई यथार्थवाद’ की …

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ज़िन्दगी लाइव: फंतासी झूठ नहीं, संभावना है!

किताबों के बाजार की सबसे बड़ी ब्यूटी यह होती है कि जिस किताब को लेखक-प्रकाशक चलाना चाहता है वह अक्सर नहीं चल पाती है लेकिन जिसे वह साधारण समझता है वह असाधारण रूप से पाठकों के बीच छा जाती है. प्रियदर्शन के पहले उपन्यास ‘ज़िंदगी लाइव’ के साथ यही हुआ. …

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रेणु जी के ‘मैला आँचल’ के अंश-पाठ का ऑडियो-वीडियो

आज फणीश्वरनाथ रेणु का जन्मदिन है. उनके उपन्यास ‘मैला आँचल’ के बारे में अनेक विद्वानों का यह मानना है कि यह हिंदी के सबसे अच्छे उपन्यासों में एक है. आज उसके एक अंश का बहुत सुन्दर पाठ प्रवीण झा ने किया है और उतना ही अच्छा वीडियो  भी बनाया है. …

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शर्मिला बोहरा जालान की कहानी ‘एक अलग उजास में’

शर्मिला बोहरा जालान नए दौर की लेखिका हैं लेकिन पुराने शिल्प में सिद्धहस्त हैं. उनकी यह कहानी कैंसर से मरती एक माँ की कहानी है जिसमें संवेदना का उजास है, राग से मुक्त होते विराग की कथा है. कहानी कुछ लाबी है लेकिन अपने साथ बांधे लिए चली जाती है. …

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