यतीन्द्र मिश्र इन दिनों ‘लता सुरगाथा’ पुस्तक लिखने के बाद अपने लेखन का बसंत जी रहे हैं. लेकिन वे मूलतः कवि हैं. आज फागुन के इस मौसम में मुझे उनकी कविता ‘फाग बंधाओ’ की याद आई. आज के सन्दर्भ में बहुत माकूल कविता- कविता का प्रसंग यह है कि हज़रत …
Read More »धर्मवीर हमारे दौर में कबीर की तरह जिए
धर्मवीर नहीं रहे. सन 2000 के आसपास उनकी पुस्तक ‘कबीर के आलोचक’ ने हिंदी आलोचना को सर के बल खड़ा कर दिया था. भक्तिकाल की जो ब्राह्मणवादी व्याख्याएँ की गई हैं उनके ऊपर वे बहुत तार्किक तरीके से प्रश्न खड़े करते हैं. अगर वे और पुस्तकें न भी लिखते तो …
Read More »औरतों की संगीतमय दुनिया ‘समरथ’
हुआ यूँ कि जानी मानी थिएटर आर्टिस्ट/लेखिका विभा रानी ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हुईं और अपनी मजबूत जिजीविषा के कारण इस बीमारी से उबर भी गईं। लेकिन बीमारी के दौरान वो अपने मन की बात काग़ज़ों पर दर्ज़ करती रहीं। वो बातें, एक कविता संग्रह के रूप में प्रकाशित हुई …
Read More »साहिर ने सेल्युलाइड के लिए भी वही लिखा जो कागज़ पर लिखते आए थे
कल महान शायर, फिल्मों के सबसे सफल गीतकारों में एक साहिर लुधियानवी का जन्मदिन था. उनके एक दोस्त जोए अंसारी का साहिर पर लिखा यह संस्मरण उनके व्यक्तित्व की कई गिर्हों को खोलता है. दिलचस्प है- मॉडरेटर ======================================================= बम्बई शहर के उबलते हुए बाज़ारों में, साहिलों पर, सस्ते होटलों में …
Read More »मनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानी ‘रंग रूप रस गंध’
होली आने वाली है. वरिष्ठ लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ की यह कहानी वृन्दावन की होली को लेकर है. पढियेगा- मॉडरेटर ===================================================== ‘आज बिरज में होरी रे रसिया की सामूहिक उठान पर अधेड ज़या माई का ध्यान खिंच गया। वह कोठरी में बैठी एक पुरानी गुदडी क़ी उधडी सींवन ठीक कर रही …
Read More »मैं टूटा तो तुम ने मुझ को गले लगाया
औरत को लेकर हर किसी का अपना एक नज़रिया होता है। होना भी चाहिए। यहाँ तक कि ख़ुद औरतों का भी। कोई किसी से इत्तिफ़ाक़ रखे या न रखे, ये अलग बात है। आज पूरी दुनिया #WomensDay मना रही है। यहाँ भी आप सुबह से कई पोस्ट पढ़ चुके हैं। …
Read More »स्त्री और पुरुष सामाजिक ग़ैर बराबरी को ख़त्म कर अपने हक़ों के साथ रह पाएंगे?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विभावरी का यह लेख कुछ महत्वपूर्ण सवालों को उठाने वाला है- मॉडरेटर ===================================================== ऐसे समय में जब दुनिया में लोकतंत्र की रहनुमाई करने वाली सबसे बड़ी संस्था के बतौर ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ इस वर्ष के ‘महिला दिवस’ को ‘प्लैनेट 50-50 बाय 2030’ कैम्पेन के तहत ‘वूमेन …
Read More »अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस और ‘वोटर माता की जय’
हिंदी का दुर्भाग्य है कि स्त्री लेखन के नाम पर महज कविता-कहानियों की चर्चा होती है. किसी नए विषय पर कोई लेखिका कुछ काम करती है तो क्या उसको स्त्री लेखन नहीं माना जाना चाहिए? इटैलियन भाषा की प्राध्यापिका प्रतिष्ठा सिंह की किताब ‘वोटर माता की जय’ की तरफ आज …
Read More »एक हाउस वाइफ का विमेंस डे
सभी को विमेंस डे की शुभकामनाएँ- दिव्या विजय =========================== बे-दम हुए बीमार दवा क्यों नहीं देते तुम अच्छे मसीहा हो शफ़ा क्यों नहीं देते आज न विमेंस डे मनाया जा रहा है. मैंने भी कह दिया पतिदेव से कि आज मेरी छुट्टी है…काम से भी, तुमसे भी, बाकी सबसे भी. …
Read More »थूका है मैनें ख़ून हमेशा मज़ाक़ में
हिंदी सिनेमा के दर्शक मुख्य रूप से दो तरह के लोग हैं। एक वो, जो पॉपुलर सिनेमा को पसंद करते हैं और दूसरे वो, जो सिनेमा में आर्ट की तलाश करते हैं। इन्हें शाहरुख़/सलमान के फ़ैन और इरफ़ान/नवाज़ुद्दीन के फ़ैन्स में बाँटा जा सकता है। ठीक इसी तर्ज़ पर उर्दू …
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