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Prabhat Ranjan

आपने ‘लूजर कहीं का’ पढ़ी है?

लूजर कहीं का– मैंने पढ़ा है इस उपन्यास को। बिहार से दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस आना, सपनों में खो जाना, सपने का टूटना। भाषा से लेकर कहानी तक सबमें ताजगी। कम से कम हम जैसे डीयू वालों के लिए तो मस्ट रीड है, सो भी मस्त टाइप- प्रभात रंजन  …

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ढो रहे हैं अपने पूर्वजों का रक्‍त और वीर्य

हाल में ‘तहलका’ में आए एक लेख के कारण हिन्दी में स्त्री विमर्श फिर से चर्चा में है। प्रसिद्ध रंगकर्मी, लेखिका विभा रानी का यह लेख हालांकि उस संदर्भ में नहीं लिख गया है लेकिन समकालीन स्त्री विमर्श को लेकर इस लेख में कई जरूरी सवाल उठाए गए हैं- जानकी …

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बिमल राय जैसा गैरमामूली फिल्मकार मर सकता है?

आज हिन्दी सिनेमा के मुहावरे को बदल कर रख देने वाले फ़िल्मकार बिमल राय की पुण्यतिथि है।युवा फिल्म समीक्षक सैयद एस॰ तौहीद ने अपने इस लेख में उनको याद करते हुए उनकी फ़िल्मकारी के कई ऐसे पहलुओं के बारे में लिखा है जिनके बारे में लोग कम जानते हैं- जानकी …

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आइंस्टीन का पत्र राष्ट्रपति रूज़वेल्ट के नाम

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आइंस्टीन द्वारा रूज़वेल्ट को लिखे गए इस पत्र को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। बाद में अपने इस पत्र को आइंस्टीन ने अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती माना था। इस महत्वपूर्ण पत्र का अनुवाद हमारे लिए किया है युवा वैज्ञानिक मेहेरवान ने- जानकी पुल।  =============================================================== …

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जिंदगी अजीब है, मौत भी अजीब होती होगी

इस साल की पहली किताब मैंने पढ़ी ‘Lovers like You and I’. मीनाक्षी ठाकुर के इस उपन्यास ने बहुत प्रभावित किया। एक अच्छी प्रेमकथा की तरह इसमें प्रेम की गहरी तड़प है। चिट्ठियों, कविताओं के सहारे लेखिका ने इसे प्रेम के संग्रहालय की तरह बना दिया। शब्दों का एक ऐसा …

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क्रांति-क्रांति-क्रांति, भ्रांति, भ्रांति, भ्रांति!

साहित्य में क्रांति-क्रांति करने वाले हिन्दी लेखक अक्सर सामाजिक क्रांतियों से दूर ही रहते आए हैं। आज ‘प्रभात खबर’ में प्रकाशित मेरा लेख- प्रभात रंजन  ================================ ‘वह (साहित्य) देशभक्ति और राजनीति के पीछे चलने वाली सच्चाई भी नहीं, बल्कि उनके आगे मशाल दिखाती हुई चलने वाली सच्चाई है’– प्रेमचंद द्वारा …

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भारंगम की हलचल शुरू हो गई है

भारंगम की शुरुआत होने वाली है। उसकी तैयारियों, उसमें दिखाये जाने वाले नाटकों के बहाने बहुत शानदार लेख लिखा है प्रसिद्ध युवा रंग समीक्षक अमितेश कुमार ने। आपके लिए- जानकी पुल।  ========================================================== टिकट खिड़की पर अग्रिम बुकिंग के साथ ही भारंगम की हलचल शुरू हो गई है. तैयारी का अंदाजा …

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एक छोटी कहानी ‘शॉर्ट फिल्म’

मैं मूलतः कथाकार हूँ। भूलतः कुछ और हूँ। इसी बात की याद दिलाने के लिए कभी-कभी आपको अपनी कहानियाँ पढ़वाता रहता हूँ। यह छोटी सी कहानी आई है आउटलुक के नए अंक में- प्रभात रंजन  ==== ==== 15 अक्टूबर को मेरी शॉर्ट फिल्म ‘उजाला’ का शो है सीरी फोर्ट में …

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शहर-ए-सिनेमा से अक़ीदत और तहजीब का एक किरदार चला गया!

फारूख शेख को याद करते हुए एक लेख लिखा है सैयद एस॰ तौहीद ने-जानकी पुल ======================================================  फारुक शेख नहीं रहे, जी हां वो चले गए! यूँ अचानक! अब भी दिल नहीं मान रहा कि एक अजीज दुनिया छोड गया है। शहर-ए-सिनेमा से अक़ीदत और तहजीब का एक किरदार चला गया …

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ख़ुशनुमा दिन है साल का पहला कोई अच्छी भली ख़बर आये

आज प्रेम रंजन अनिमेष की गज़लों के साथ आप सभी को जानकी पुल की तरफ से नए साल की शुभकामनाएं =========== =========== =========== ( 1 ) (ग़ालिब से थोड़ी गुस्‍ताखी की हिमाकत करते हुए) कोई  उम्मीद  लौट  कर  आये कोई  सूरत  कहीं  नज़र  आये प्यार बनकर जुनूँ  चढ़ा सर पर …

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