#kahani140 प्रतियोगिता के विजेताओं की कहानियां हम एक-एक करके पेश करेंगे. जितने कहानीकारों ने ट्विटर कहानी की इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया सबकी अपनी अलग शैली थी. २७ जनवरी के विजेता सत्यानन्द निरुपम की कहानियों को ही लीजिए. इनकी आंचलिकता इन्हें विशिष्ट बनाती है- जानकी पुल. ===================================================================== माँ जवाब पाए …
Read More »वोल्गा इलाके में भारतीय बस्ती थी
इन दिनों प्रसिद्ध लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल की पुस्तक ‘हिंदी सराय- अस्त्राखान वाया येरेवान’ की बड़ी चर्चा है. उसका एक दिलचस्प अंश आज ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में छपा है. आपके लिए- जानकी पुल. === === अस्त्राखान वोल्गा के डेल्टा में तो बसा ही है, शहर का एक इलाका तो कहलाता ही वोल्गा …
Read More »अभी-अभी एक सितारा टूटकर गिरा है
वेस्टलैंड-यात्रा बुक्स ने जब कहानी 140 यानी ट्विटर कहानी प्रतियोगिता की घोषणा की तो उम्मीद नहीं थी कि हिंदी के लेखक ऐसा प्रयास करेंगे, लेकिन अनेक लेखकों ने ट्विटर पर कहानी लिखकर इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. पहले दिन पुरस्कार पाने वाले लेखकों में युवा लेखक त्रिपुरारि कुमार शर्मा भी …
Read More »आपको बाइफ़ेस जानता हूँ पर नाम याद नहीं आ रहा
युवा कवि नीरज शुक्ल की कुछ नई कविताएँ पढ़ी तो उनमें मुझे ताजगी महसूस हुई. आपसे साझा कर रहा हूं- प्रभात रंजन ======== विस्मृति तुम्हारी स्मृतियों में कहीं गुम हो गया हूँ मै जो तुम्हे तकरीबन याद नहीं उस एक दुनिया का नागरिक हूँ तुम्हारी खोयी हुयी पेंसिलों, आलपिनों,रबर के टुकड़ों, नेल पालिश की …
Read More »श्रीकांत दुबे की कहानी ‘ब्लेड’
बीच-बीच में कोई अच्छी कहानी कहीं पढ़ता हूं तो आपसे साझा कर लेता हूं. आज आपसे युवा लेखक श्रीकांत दुबे की कहानी ‘ब्लेड’ आपसे साझा कर रहा हूं. अच्छी लगेगी- जानकी पुल. =========================================================== जीन हमारी देहों में पैतृक लक्षणों के संवाहक होते हैं। लेकिन हमारे जिस्म की हरकतों में बहुत …
Read More »नाटक नहीं होना था, नाटक हुआ
२०१३ के रंग महोत्सव में मंटो की जिंदगी पर आधारित ‘अजोका’ की प्रस्तुति के न होने को लेकर प्रसिद्ध लेखक अपूर्वानंद ने कुछ गंभीर सवाल उठाये हैं और सामूहिक प्रयासों से उसके अक्षरा थियेटर में आयोजित किए जाने के बारे में लिखा. यह महत्वपूर्ण लेख आज ‘जनसत्ता’ में प्रकाशित हुआ …
Read More »मैं हिंदी साहित्य की एकता हो गया हूँ
कल जब मैं गुलजार साहब का लिखा गीत ‘जब एक कज़ा से गुजरो तो इक और कज़ा मिल जाती है’ सुन रहा था कि कवि-आलोचक विष्णु खरे का यह पत्र ईमेल में प्राप्त हुआ. इन दिनों वे स्लोवाकिया की राजधानी ब्रातिस्लावा में प्रवास पर हैं. उन्होंने इस पत्र को प्रकाशित करने …
Read More »पांचवें युद्ध की बात भारत क्यों छेड़ने बैठे?
ऐसे समय में जब भाजपा की ओर से लगातार युद्ध का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, पहले सुषमा स्वराज का बयान आया, आज ‘जनसत्ता’ में तरुण विजय ने भी लिखा है, बौद्धिक समुदाय का यह कर्तव्य बनता है कि युद्ध के खिलाफ माहौल बनाया जाए. आज ‘जनसत्ता’ …
Read More »ये एक पहल है नए मीडिया से जुड़ने की
वैस्टलैंड बुक्स / यात्रा बुक्स की कहानी 140 योजना को लेकर हमारे पास भी बहुत से लोगों के सवाल आए कि किस तरह से इस योजना का हिस्सा बना जाए? किस तरह से १४० कैरेक्टर्स में कहानी लिखी जाए? वगैरह-वगैरह. ऐसी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए ही हमने यात्रा …
Read More »कुंठित व्यक्ति के तर्कहीन और अविश्वसनीय विचार
वरिष्ठ कवि-आलोचक विष्णु खरे ने कवि चंद्रकांत देवताले को अकादेमी पुरस्कार मिलने पर एक टिप्पणी लिखी थी. उस ‘टिप्पणी में उन्होंने हमारे एक प्रिय और सम्मानित कवि की प्रशंसा के साथ–साथ एक तिरस्कार भाव दिखाते हुए यह भी कहा कि लीलाधर जगूड़ी, राजेश जोशी, मंगलेश डबराल, वीरेन डंगवाल और अरुण कमल को “निर्लज्ज …
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