नमन नारायण की कहानी ‘टाइमपास’

21 वर्षीय नमन नारायण की टिप्पणियाँ हम पहले भी जानकी पुल पर पढ़ते रहे हैं। इस बार उसकी एक छोटी सी कहानी पढ़िए। किशोर जीवन के अनुभवों को लेकर हिंदी में कम कहानियाँ लिखी गई हैं। यह एक दिलचस्प कहानी है- ==============================   मैं रोज़ आता हूँ यहाँ, स्कूल के …

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कोरोना-काल में मातृ-साया की कहानी बयां करती ‘आंधारी’

प्रसिद्ध लेखिका नमिता गोखले के उपन्यास ‘द ब्लाइंड मैट्रीआर्क’ के हिंदी अनुवाद ‘आंधारी’ पर यह टिप्पणी लिखी है युवा लेखक-पत्रकार ने। आप भी पढ़िए- ========================   आंधारी; अस्सी साल की एक बुर्जुग महिला मातंगी के जीवन पर आधारित उपन्यास है, जो महानगर के सी-100 चौमंजिला इमारत के अंदर संभ्रांत उत्तर भारतीय …

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विमलेश त्रिपाठी का स्तम्भ एक गुमनाम लेखक की डायरी-2

आज पढ़िए युवा कवि विमलेश त्रिपाठी की आत्मकथा की दूसरी किस्त। वे जानकी पुल के लिए यह साप्ताहिक स्तम्भ लिख रहे हैं- ===================== शब्दों की दुनिया ही हमारा आसरा   खेत-बधार और गली-गांव से अधिक की पहुंच नहीं थी हमारी। कभी-कभी छुपकर दोस्तों के साथ नदी चले जाते थे। वह …

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पहले प्रेम की दारुण मनोहारी वेदना का आख्यान : ‘कॉल मी बाई योर नेम’ और ‘कोबाल्ट ब्लू’

हाल में आई फ़िल्म ‘कोबाल्ट ब्लू’ और तक़रीबन पाँच साल पुरानी फ़िल्म ‘कॉल मी बाई योर नेम’ पर यह टिप्पणी युवा लेखिका और बेहद संवेदनशील फ़िल्म समीक्षक सुदीप्ति ने लिखी है। सुदीप्ति फ़िल्मों पर शानदार लिखती हैं लेकिन शिकायत यह है कि कम लिखती हैं। फ़िलहाल यह टिप्पणी पढ़िए- =================== …

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विशाखा मुलमुले की कुछ कविताएँ

विशाखा मुलमुले समकालीन कविता का जाना-पहचाना नाम है। आज उनकी कुछ कविताएँ पढ़िए- =================   1 ) जाने तक के लिए —————————-   जाने तक के लिए फूलों तुम दिखला दो अपनी रंग सुगन्ध कपास तुम घेर लो बन के कोमल वसन अंत समय तो द्वार बंद होंगे नासिका के …

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कोबाल्ट ब्लू : लेबलिंग से पूरी तरह से गुरेज

नेटफलिक्स पर एक फिल्म है ‘कोबाल्ट ब्लू’, इसकी बहुत अच्छी समीक्षा लिखी है किंशुक गुप्ता ने। किंशुक गुप्ता मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ लेखन से कई वर्षों से जुड़े हुए हैं। अंग्रेज़ी की अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कविताएँ और कहानियाँ प्रकाशित। द हिंदू, द हिंदुस्तान टाइम्स, द …

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विनोद शाही की ग्यारह कविताएं

आज पढ़िए जाने माने कवि-आलोचक विनोद शाही की कविताएँ। समकालीन संद्र्भों में प्रासंगिक कविताएँ- =======================     1 प्रगति के अंडे   एक फूल खिला वनस्पति की एक तितली उग आई।   एक प्रेमी ने कहा, सुंदर है चलो इसका नाम रति रख देते हैं।   उसे देख, आकाश में …

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क़स्बाई जीवन और शहर में विस्थापित लोक

आज पढ़िए विनोद पदरज के कविता संग्रह पर टिप्पणी। संभावना प्रकाशन से प्रकाशित उनके संग्रह ‘आवाज़ अलग-अलग है’ पर यह टिप्पणी लिखी है युवा कवि देवेश पथ सारिया ने- ============   विनोद पदरज लोक जीवन के कवि हैं। उनकी नई पुस्तक ‘आवाज़ अलग-अलग है’ में प्रत्येक कविता पठनीय है और …

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विमलेश त्रिपाठी का स्तम्भ ‘एक गुमनाम लेखक की डायरी’-1

आज युवा कवि विमलेश त्रिपाठी का जन्मदिन है। आज के दिन वे जानकी पुल के लिए एक साप्ताहिक स्तम्भ लिखेंगे। ‘एक गुमनाम लेखक की डायरी’ नामक स्तम्भ की पहली किस्त पढ़िए- ======================= मेरा जन्म ऐसे परिवेश में हुआ जहां लिखने-पढ़ने की परम्परा दूर-दूर तक नहीं थी। कहने को हम ब्राह्मण …

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कांदुर कड़ाही:  चूल्हे-चौके से बाहर रौशन होती एक दुनिया

नाटककार, अभिनेत्री विभा रानी का उपन्यास आया है ‘कांदुर कड़ाही’। यह हिंदी में अपने ढंग का अनूठा उपन्यास है। कश्मीर और बिहार की दो विस्थापित स्त्रियों की स्मृतियाँ हैं, देश भर की रेसिपी है और अपनापे की एक कहानी। वनिका पब्लिकेशंस से प्रकाशित इस उपन्यास पर सारंग उपाध्याय ने यह …

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