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लेख

 द्विज सामंती व्यवस्था का चित्रण है ‘शोले’

दलित लेखक-आलोचक कैलाश दहिया ने ‘शोले’ फ़िल्म की समीक्षा एक अलग ही नज़रिए से की है। आप भी पढ़िए- ================= ‘शोले’ फिल्म भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में माइलस्टोन मानी जाती है। फिल्म का एक-एक सीन-डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर चढ़ा मिलता है। इसे इस फिल्म के लेखकों समेत निर्देशकों …

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   डॉ.धर्मवीर का  दलित विमर्श: सुरेश कुमार

प्रसिद्ध दलित विचारक डॉक्टर धर्मवीर के जीवन और लेखन पर एक शानदार लेख ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ में पढ़ा। युवा आलोचक सुरेश कुमार का लिखा यह लेख सोचा आप लोगों से भी साभार साझा किए जाए- ==========================   दलित चिंतन की स्वतंत्र ज़मीन और डा. आम्बेडकर के विचारों का पुर्नपाठ में …

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हरे पीले लाल के बीच झूलती ज़िन्दगी: अजय सोडानी

इंदौर शहर के जाने-माने चिकित्सक डॉक्टर अजय सोडानी जाने-माने लेखक हैं। कोरोना काल में चिकित्सा के अनुभवों को लेकर उन्होंने तीन अंकों में एक सीरिज़ ‘दैनिक भास्कर’ में लिखी। आप लोगों के लिए तीनों एक साथ प्रस्तुत कर रहे हैं- =============================== “बेटा मिल सके तो कहीं से एक अनार लेते …

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लोक संस्कृति के अद्भुत नायक देवेंद्र सत्यार्थी: प्रकाश मनु

आज यायावर लेखक देवेंद्र सत्यार्थी जी की जयंती है। लेखक प्रकाश मनु का उनके साथ लम्बा समय बीता। आज देवेंद्र सत्यार्थी पर प्रकाश मनु का लिखा यादगार लेख पढ़िए- ====================== किसी दरवेश सरीखे अपने ढंग के विलक्षण लोकयात्री देवेंद्र सत्यार्थी के काम और व्यक्तित्व से प्रभावित होकर कई दशकों पहले …

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‘कोसी का घटवार’ के बहाने प्रेम पर चिंतन

प्रसिद्ध लेखक सूरज प्रकाश जी ने कुछ चर्चित कहानियों के पात्रों को लेकर एक सीरिज़ लिखी है। सबसे पहले पढ़िए शेखर जोशी की कहानी ‘कोसी का घटवार’ के अमर पात्र सैनिक नायक गुसाईं सिंह के बारे में- ========================================= वरिष्ठ कहानीकार शेखर जोशी की एक कहानी है ‘कोसी का घटवार’। इस …

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अमरकंटक की नर्मदा कथा

प्रियंका नारायण मिथकों, पारम्परिक कथाओं पर बहुत खूब लिखती हैं। इससे पहले बनारस पर लिखे उनके गद्यांश हम पढ़ चुके हैं। यह गद्यांश अमरकंटक, नर्मदा नदी को लेकर है। अछूता विषय, निराला गद्य- ============== कहते हैं गंगा भी जब अपने पाप से मैली हो जाती है, तब वह दौड़ी हुई नर्मदा …

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आशुतोष भारद्वाज का लेख ‘मंगलेश का प्रदाय’

आज मंगलेश डबराल जी की जयंती है। उनके जाने के बाद पहली जयंती। उनके रचनात्मक अवदान पर यह लेख प्रसिद्ध लेखक-पत्रकार-आलोचक आशुतोष भारद्वाज ने लिखा है। ============= एक किसी आलोचक और रचनाकार की आलोचना में एक फ़र्क यह है कि कोई कवि या कथाकार जिन मानकों को प्रस्तावित करता है, …

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अनामा माँ के भीतर एक गुमशुदा स्त्री की तलाश

आज मदर्स डे पर प्रसिद्ध लेखिका गीताश्री का लेख पढ़िए। पढ़ते पढ़ते अपनी माँ से मिलने का मन होने लगा- ============================== मां, मेरी माय -गीताश्री जन्म लेने के लिए एक स्त्री की कोख ढूंढता है ईश्वर “अंतरिक्ष के आखिरी छोर पर खड़ी एक स्त्री पक्षियों को पंख / पेट को …

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 डा.आंबेडकर और स्त्री मुक्ति का स्वप्न

 आज बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर की जयंती पर पढ़िए युवा शोधार्थी सुरेश  कुमार का लेख जो डॉक्टर आम्बेडकर के व्यक्तित्व के एक और विराट पहलू से साक्षात्कार करवाने वाला है- ======================== बीसवीं सदी के महान विचारक और सुधारक डा.भीमराव आंबेडकर अपने चिंतन में समाजिक समस्याओं पर सोचते हुए स्त्री समस्या पर  …

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 डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया शीर्षक महाकथा में जो लेखन रहता है

गिरिराज किराड़ू का यह लेख बहुत पुराना है। उन दिनों का जब वे हिंदी के आधुनिक लेखकों के लेखन के मिथ को समझने-समझाने का प्रयास कर रहे थे। बड़ी-बड़ी बहसों को समझने का प्रयास कर रहे थे। निर्मल वर्मा आधुनिक हिंदी की एक बड़ी बहस रहे हैं। उनके आत्म और …

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