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वाम दिशा में ढलता सूरज

आज ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में  वरिष्ठ पत्रकार, कवि कार्टूनिस्ट राजेन्द्र धोड़पकर का यह लेख प्रकाशित हुआ है. जिन्होंने न पढ़ा हो उनके लिए- जानकी पुल. ========================================= किसी विचार या युग के अंत की घोषणा करना काफी नाटकीय और रोचक होता है, लेकिन यह खतरे से खाली नहीं है। खासकर भारत में, जहां …

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श्रेष्ठ कृतियों की सूची बनाकर उनका बार-बार अध्ययन करना चाहिए

‘वागर्थ’ पत्रिका के मई अंक में एक परिचर्चा प्रकाशित हुई है ‘समकालीन कथा साहित्य और बाजार’  विषय पर. इसमें मैंने भी सवालों के जवाब दिए थे. पत्रिका के सवालों के साथ अपने जवाब प्रस्तुत कर रहा हूँ. उनके लिए जिन्होंने न पढ़ा हो और जो पढना चाहते हों- प्रभात रंजन  …

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मैं भारत में नहीं रहता हूं मैं अपने घर में रहता हूं

महीनों से चल रहे चुनावी चक्र से बोर हो गए हों,  राजनीतिक महाभारत से ध्यान हटाना चाहते हों तो कुछ अच्छी कविताएं पढ़ लीजिए. हरेप्रकाश उपाध्याय की हैं- जानकी पुल. ============================================== 1. जिन चीजों का मतलब नहीं होगा ……………… मैं भारत में नहीं रहता हूं मैं अपने घर में रहता …

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हाथी-घोड़ा-पालकी

लोकसभा चुनाव संपन्न हुए, हार-जीत तय हो गई. आज कई अखबारों में चुनाव परिणामों का विश्लेषण देखा-पढ़ा. ‘जनसत्ता’ संपादक ओम थानवी का यह विश्लेषण कुछ अधिक व्यापक, संतुलित और बेबाक लगा. आप भी पढ़िए- प्रभात रंजन  ==================================== न कांग्रेस को इस पतन की उम्मीद थी, न भाजपा को ऐसे आरोहण …

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‘गायब होता देश’ पर मैत्रेयी पुष्पा की टिप्पणी

 अपने पहले उपन्यास ग्लोबल गांव के देवता के चर्चित और बहुप्रशंसित होने के बाद रणेन्द्र अपने दूसरे उपन्यास गायब होता देश के साथ पाठकों के रूबरू हैं. पेंगुइन बुक्स से प्रकाशित यह हिंदी उपन्यास अनेक ज्वलंत मुद्दों को अपने में समेटता है मसलन आदिवासी जमीन की लूट, मीडिया का घुटना …

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वह आत्‍मविश्‍वास की मौत मरेगा

आज हमारे लोकतंत्र के महासमर का आखिरी मतदान चल रहा है. आइये रवि भूषण पाठक की कुछ राजनीतिक कवितायेँ पढ़ते हैं और उसके निहितार्थों को समझने की कोशिश करते हैं- जानकी पुल. === === 1. रूको देश काला जादूगर के आंखों का सूरमा हो जाएगा बासी थक जाएगी उसकी उँगलियां …

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फिर तोड़ने की कोशिश हर ओर हो रही है

भरत तिवारी की जादुई तस्वीरों के हम सब प्रशंसक रहे हैं. उनकी गज़लों की रवानी से भी आप प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाएंगे. समकालीन हालात को लेकर कुछ मौजू शेर. रविवार की सुबह आपके लिए- प्रभात रंजन  ================= मजबूत थी इमारत, कमज़ोर हो रही है फिर तोड़ने की कोशिश हर ओर …

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एरिश फ्रीड की कविताओं का मूल जर्मन से अनुवाद

एरिश फ्रीड (6 मई, 1921 – 22 नवंबर, 1988) ऑस्ट्रियाई मूल के कवि, लेखक, निबंधकार और अनुवादक थे. प्रारम्भ में जर्मनी और ऑस्ट्रिया दोनों में उन्हें अपनी राजनीतिक कविताओं के लिए जाना जाता था लेकिन बाद में उन्हें अपनी प्रेम कविताओं के लिए ख्याति मिली. एक लेखक के रूप में …

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संजीव क्षितिज की कविताएं

संजीव क्षितिज दुर्लभ कवि हैं. बरसों बाद उनकी कुछ कविताएं ‘समास’ पत्रिका में पढ़ी तो आपस साझा करने से खुद को रोक नहीं पाया. बड़ी सहजता से जीवन की गहनतम सच्चाइयों से रूबरू कराती इस कविताओं के कवि से यह अपेक्षा है कि वे कुछ और कवितायेँ हमें पढने का …

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मित्र लेखिका की मृत्यु पर शोकगीत

लेखिका ज्योत्स्ना मिलन के लेखन, उनकी मानवीय ऊष्मा को बड़ी शिद्दत से याद कर रहे हैं प्रसिद्ध कवि-लेखक, ‘समास’ पत्रिका के संपादक, विचारक उदयन वाजपेयी. ज्योत्स्ना जी को श्रद्धांजलि- जानकी पुल. ======== 3 मई 2014 को हिन्दी लेखिका-कवि ज्योत्स्ना मिलन का असमय देहावसान मुझ समेत उनके कई मित्रों और पाठकों …

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