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राकेश श्रीमाल की कविताएँ

जानकी पुल के उपक्रम ‘कविता शुक्रवार’ के संपादक राकेश श्रीमाल का आज जन्मदिन (5 दिसम्बर) है। जानकी पुल की तरफ से बधाई देने के लिए उनके पहले कविता संग्रह ‘अन्य’ (वाणी प्रकाशन, 2001) में प्रकाशित उनकी कुछ प्रेम कविताओं को पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है। इन कविताओं …

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तेलुगु उपन्यासकार केशव रेड्डी के उपन्यास ‘भू-देवता’ का अंश

केशव रेड्डी की  गिनती तेलुगु के प्रतिष्ठित उपन्यासकारों में होती है। 2019 में किसान के जीवन पर आधारित उपन्यास भू-देवता काफी चर्चित रहा था। संयोग से इस समय पूरे देश में किसान एक बार फिर चर्चा में हैं। देशभर में चल केंद्र सरकार के नए बिल पर किसान आन्दोलन अपने चरम पर है। भू-देवता  में केशव रेड्डी ने 70 साल पहले …

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रवि रंजन की कविताएँ

रवि रंजन दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज में राजनीति शास्त्र पढ़ाते हैं। उनकी कुछ कविताएँ पढ़िए =================   जीवन की कविता में अलंकरण ज़िंदगी की कहानी में संकलन पूर्णता नहीं पूरकता को तय करती है जीवनधारा यूं ही बहती है जीव मरते पर जीवन अनंत नहीं होता कविता …

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आयो गोरखाली और गोरखाओं का इतिहास

गोरखाओं के इतिहास पर एक किताब आई है ‘आयो गोरखाली – अ हिस्ट्री ऑफ द गुरखा’स’, जिसके लेखक हैं टिम आई. गुरुंग. वेस्टलैंड से आई इस पुस्तक पर आज कलिंगा लिटेररी फ़ेस्टिवल के भाव संवाद में लेखक से बातचीत करेंगे नेपाल मामलों के विशेषज्ञ अतुल कुमार ठाकुर। फ़िलहाल आप किताब …

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शैलेंद्र शर्मा की कहानी ‘तीन पगडंडियां’

शैलेन्द्र शर्मा पेशे से चिकित्सक हैं। 1980-90 के दशक में हिंदी की सभी पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कहानियाँ प्रकाशित होती थीं, सराही जाती थीं। लम्बे अंतराल के बाद इन्होंने दुबारा लेखन  शुरू किया है। जानकी पुल पर प्रकाशित यह उनकी दूसरी कहानी है- ======================================== स्टेशन पर सुमेधा और श्रुति पहले ही …

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नहर वाले खेत की हरियाली: मिथिलेश कुमार राय

मिथिलेश कुमार राय युवा लेखकों में जाना पहचाना नाम है। इनका उपन्यास ‘कोयला ईंजन’ शीघ्र प्रकाशित होने वाला है उसी का एक अंश पढ़िए- ======================== नहर वाले खेत की हरियाली प्रभात खबर के दीपावली विशेषांक-2020 में प्रकाशित लेखक के शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास ‘कोयला ईंजन’ का एक अंश   गेहूं के …

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पटना ब्लूज’ में बिहार की वर्तमान राजनीति की पृष्ठभूमि है

अब्दुल्ला खान का उपन्यास ‘पटना ब्लूज’ मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित हुआ लेकिन इस उपन्यास को दो साल के अंदर सभी भारतीय भाषाओं ने अपनाया है। यह हाल के वर्षों में सबसे अधिक भाषाओं में अनूदित होने वाला उपन्यास बन गया है। इस उपन्यास पर एक टिप्पणी लिखी है …

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 अहमद नदीम क़ासमी : भारतीय उपमहाद्वीप का सरमाया

आज भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े लेखक-शायर अहमद नदीम क़ासमी की जयंती है। जब छोटा था तो टीवी पर किसी मुशायरे की रेकार्डिंग आ रही थी तो उसमें वह भी सुना रहे थे। उनका एक शेर आज तक याद रह गया- ‘सुबह होते ही निकल पड़ते हैं बाज़ार में लोग/गठरियाँ सर …

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राजीव कुमार की कहानी ‘वंचना’

राजीव कुमार समीक्षाएँ लिखते हैं, कविताएँ लिखते हैं। यह उनकी पहली कहानी है। एक अलग मिज़ाज, अलग तरह की भाषा में लिखी कहानी- ===================== जुले खान आप बहार की तरह आयी थी और पतझड़ में गुम हो गई। पतझड़ में  महज पत्ते नहीं झरते, वृक्ष के सपने भी। किताबों ने …

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    इतिहास और कल्पना कोरस ‘राजनटनी’

गीताश्री के उपन्यास राजनटनी की विस्तृत समीक्षा लिखी है प्रखर युवा शोधार्थी सुरेश कुमार ने। यह उपन्यास हाल में ही राजपाल एंड संज प्रकाशन से आया है- =========== स्त्रीविमर्श की सिद्धांतकार गीताश्री ने शोध और अनुसंधान से चमत्कारित कर देने वाला ‘राजनटनी’ नामक इतिहासपरक उपन्यास लिखा है। यह उपन्यास अभी …

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