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लेख

नियति का अर्थ है पैतृकता की पहचान

   कैलाश दहिया आजीवक विचारक हैं और अपने इस लेख में उन्होंने नियति के सिद्धांत पर विचार करते हुए धर्मों में स्थापित भाग्यवाद की तार्किक आलोचना की है। एक ज्ञानवर्धक लेख पढ़ा इसलिए साझा कर रहा हूँ- जानकी पुल। ==================== भारतीय चिंतन जगत में ‘जन्म’ को ले कर बड़ी बहस …

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इस अकेले समय में पढ़ने का आनन्द: अशोक महेश्वरी

पिछले दिनों प्रकाशन जगत की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘ऑल अबाउट बुक पब्लिशिंग’ मैंने अंग्रेज़ी के एक प्रमुख प्रकाशन के प्रतिनिधि का इंटरव्यू पढ़ा था, जिसमें उनका कहना था कि लॉकडाउन के दौरान उनके प्रकाशन की किताबों की बिक्री में केवल 3 प्रतिशत की कमी आई है क्योंकि अंग्रेज़ी में ईबुक की …

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किताबों के विज्ञापन और हमारे मूर्धन्य लेखक

युवा शोधकर्ता सुरेश कुमार के कई लेख हम पढ़ चुके हैं। इस बार उन्होंने इस लेख में अनेक उदाहरणों के साथ यह बताया है कि आधुनिक हिंदी साहित्य के आधार स्तम्भ माने जाने वाले लेखक भी अपनी किताबों के प्रचार-प्रसार के ऊपर कितना ध्यान देते थे, चाहे भारतेंदु हरिश्चंद्र रहे …

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कोरोना के समय में गंगा से बातें

संवाद अनुवाद के माध्यम से भी होता है। रेखा सेठी का यह अनुवाद पढ़िए उनकी भूमिका के साथ- मॉडरेटर ================================== भारतीय अंग्रेज़ी कविता की खूबसूरती इस बात में है कि संवेदना के धरातल पर वह अन्य भारतीय भाषाओं के बेहद करीब है, भाषाओं के औपनिवेशिक पदानुक्रम को निरस्त करती हुई। …

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विवाह को ‘जीवन बीमा’ कहने वाली लेखिका प्रियंवदा देवी

  सुरेश कुमार हिंदी के नवजागरणकालीन साहित्य से जुड़े अछूते विषयों, भूले हुए लेखक-लेखिकाओं पर लिखते रहे हैं। आज स्त्री विमर्श की एक ऐसी लेखिका पर उन्होंने लिखा है जो महादेवी वर्मा की समकालीन थीं। लेकिन उनकी चर्चा कम ही सुनाई दी। इस लेख में प्रियंवदा देवी नामक उस लेखिका …

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अपनी सही चमक जानने वाला तारा बनना है!

देवेश पथ सारिया ताइवान के एक विश्वविद्यालय में शोध छात्र हैं, और हाल के दिनों में सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं, वेबसाइट्स-ब्लॉग्स में इनकी कविताएँ प्रकाशित हुई हैं, सराही गई हैं। इस लेख में उन्होंने युवा लेखन पर अपने कुछ विचार प्रकट किए हैं- मॉडरेटर =========   जब भी कोई अनुभवी लेखक …

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खिड़की के पल्ले के बाहर झींगुरों की आवाज़ अभी भी आ रही है: रस्किन बॉन्ड

19 मई को महान लेखक रस्किन बॉन्ड 86 साल के हो जाएँगे। आज इंडियन एक्सप्रेस में उनसे बातचीत के आधार पर देवयानी ओनियल ने यह लेख लिखा है।  मेरी अंतरात्मा को जगाने वाले के मित्र के अनुरोध-आदेश पर इस लेख का अनुवाद करने बैठ गया। निराशा में आशा की उम्मीद …

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जेंडर गैरबराबरी का आईना कोविड- 19

कोविड-19 के काल में घरेलू हिंसा का पहलू उभरकर आ रहा है। इसके ऊपर यह विश्लेषणपरक लेख लिखा है मधु भट्ट ने। मधु बाला जागोरी नामक प्रसिद्ध संस्था में काम करती हैं और महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं- मॉडरेटर ========   कोविड- 19 अपने साथ एक महामारी तो लेकर आया ही लेकिन …

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 जी. एस. पथिक : नवजागरण का स्त्री पक्ष

सुरेश कुमार युवा हैं, शोध छात्र हैं। इनको पढ़ते हुए, इनसे बातें करते हुए रोज़ कुछ नया सीखता हूँ। 19 वीं-20 वीं शताब्दी के साहित्य पर इनकी पकड़ से दंग रह जाता हूँ। फ़िलहाल यह लेख पढ़िए। स्त्री विमर्श पर एक नए नज़रिए के लिए लिखा गया है- मॉडरेटर ======= …

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दिल की दहलीज़ प’ बैठी है कोई शाम उदास

सुहैब अहमद फ़ारूक़ी ज़िम्मेदार पुलिस अधिकारी हैं और शायर हैं। उनका यह सफ़र 25 साल का हो चुका है। उन्होंने अपने इस सफ़र की दास्तान लिखी है, जो प्रसिद्ध लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक की भूमिका के साथ प्रस्तुत है- मॉडरेटर =============================== जश्न-ए-तनवीर* भला कैसे मनाऊँ बोलो, दिल की दहलीज़ प’ …

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