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Prabhat Ranjan

रायपुर का रायचंद

मेरे प्रिय व्यंग्यकार-कवि अशोक चक्रधर ने रायपुर साहित्योत्सव से लौटकर अपने प्रसिद्ध स्तम्भ ‘चौं रे चम्पू’ में इस बार उसी आयोजन पर लिखा है. आप भी पढ़िए- प्रभात रंजन  ===================================================== –चौं रे चम्पू! तू रायपुर साहित्य महोत्सव में गयौ ओ, कौन सी चीज तोय सबते जादा अच्छी लगी? –चीज़ से …

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हम खड़ी बोली वाले हर बात के विरोध में खड़े रहते हैं!

हिंदी के एक वरिष्ठ लेखक, एक ज़माने में मैं जिनका दूत होता था, भूत होता था, ने एक बड़ी मार्के की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि जानते हो हिंदी भाषा खड़ी बोली से बनी है, और इसलिए हर बात पर विरोध में खड़े हो जाना इसके मूल स्वभाव …

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विमल राय की फिल्म ‘उसने कहा था’

चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी ‘उसने कहा था’ पर विमल राय ने एक फिल्म का निर्माण किया था. हालाँकि निर्देशन उन्होंने खुद नहीं किया था. फिल्म के लिहाज से कहानी में काफी बदलाव किया गया था. उस फिल्म पर आज सैयद एस. तौहीद का लेख- मॉडरेटर  ============================================= कथाकार चन्द्रधर शर्मा …

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‘उसने कहा था’ की सूबेदारनी और मैत्रयी पुष्पा की कलम

‘उसने कहा था’ कहानी अगले साल सौ साल की हो जाएगी. इस सन्दर्भ को ध्यान में रखते हुए कल हमने युवा लेखक मनोज कुमार पाण्डे का लेख प्रस्तुत किया था. आज प्रसिद्ध लेखिका मैत्रेयी पुष्पा का यह लेख. जो यह सवाल उठाता है कि क्या यह कहानी महज लहना सिंह …

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सौ साल बाद ‘उसने कहा था’

‘उसने कहा था’ कहानी के सौ साल पूरे होने वाले हैं. इसके महत्व को रेखांकित करते हुए युवा लेखक मनोज कुमार पाण्डेय ने एक बहुत अच्छा लेख लिखा है. मैं तो पढ़ चुका आप भी पढ़िए- प्रभात रंजन  ============================================================ ‘उसने कहा था’ पहली बार सरस्वती में जून 1915 में प्रकाशित …

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जनवादी लेखक संघ और वाम लेखकों के बीच एक रोचक और गंभीर बहस!

पता नहीं आप लोगों का इसके ऊपर ध्यान गया कि नहीं वाम विचारक श्री अरुण महेश्वरी ने जनवादी लेखक संघ के नेतृत्व के नाम एक खुला पत्र अपने फेसबुक वाल पर जारी किया. उसके बाद जनवादी लेखक संघ के उप-महासचिव संजीव कुमार का एक पत्र जारी हुआ और उसके बाद …

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राजेश खन्ना की कामयाबी एक मिसाल है- सलीम खान

80 के दशक में जब हम बड़े हो रहे थे तो हमारे सामने सबसे बड़ा डाइलेमा था कि कपिल देव सबसे बड़े क्रिकेट खिलाड़ी हैं या सुनील गावस्कर. 70 के दशक में हमारे मामाओं-चाचाओं के लिए डाइलेमा दूसरा था- राजेश खन्ना या अमिताभ बच्चन. याद आया यासिर उस्मान की पुस्तक ‘राजेश …

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भारत में शादी विषय पर 1500-2000 शब्दों में निबंध लिखें

आजकल शादियों का मौसम चल रहा है. कल बहुत अच्छा व्यंग्य मैंने बारातियों पर पढ़ा था. प्रसिद्ध व्यंग्यकार राजेंद्र धोड़पकर ने लिखा था. लेकिन शादी पर सदफ नाज़ का यह व्यंग्य तो अल्टीमेट है. जितनी बार पढ़ा हँसने के नए मायने मिले. आपका दिन शुभ और शाम को जिस भी …

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हिमालय न देखा हो तो ‘दर्रा दर्रा हिमालय’ पढ़ लीजिए

‘दर्रा दर्रा हिमालय’ ऐसी किताब नहीं है जिसमें हिमालय की गोद में बसे हिल स्टेशनों की कहानी हो, जिसे पढ़ते हुए हम याद करें कि अरे नैनीताल के इस होटल में तो हम भी ठहरे थे, शिमला के रेस्तरां में बैठकर हमने भी मॉल का नजारा लिया था. हमने भी …

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जेड प्लस इंटेलेक्चुअल फिल्म नहीं, इंटेलिजेंट फिल्म है!

यह शाम की रिव्यू है. जो सुबह से थोड़ी अलग है और कुछ कुछ उस जैसी भी है. जेड प्लस फिल्म ही ऐसी है कि हर लेखक का अपना अपना पाठ तैयार है. यह पाठ है प्रसिद्ध युवा लेखिका अनु सिंह चौधरी का. असल में करोड़ करोड़ खेलने वाली फिल्मों …

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