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Prabhat Ranjan

दिल्ली में नींद: नामालूम त्रासदियों के वृतांत

आज युवा लेखक उमाशंकर चौधरी का जन्मदिन है। यह संयोग है कि आज उनके कहानी संग्रह ‘दिल्ली में नींद’ की समीक्षा मिली। काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में हिंदी के प्रोफ़ेसर नीरज खरे ने यह समीक्षा लिखी है। आप भी पढ़ सकते हैं- ===================================               …

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विनय सीतापति की किताब ‘जुगलबंदी’ का एक अंश

विनय सीतापति की किताब ‘जुगलबंदी’ की बड़ी चर्चा है। वाजपेयी-आडवाणी के आपसी संबंधों को लेकर लिखी गई इस किताब का हिंदी अनुवाद हाल में ही पेंग्विन से प्रकाशित हुआ है। आइए किताब का वह रोचक अंश पढ़ते हैं जो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफ़े को लेकर वाजपेयी …

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राजकमल, पुरानी दिल्ली और दिल्ली पुलिस

कल 28 फ़रवरी से राजकमल प्रकाशन अपने 75 वें साल में प्रवेश कर जाएगा। अपने 74 वें स्थापना दिवस को इस बार राजकमल कुछ अनूठे अन्दाज़ में मना रहा है। सीधे पाठकों के बीच पहुँचने के अभियान के साथ। आप भी जानना चाहते हैं तो इसको पढ़ सकते हैं- ========================== …

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भाषा, मातृभाषा और मातृभाषा आंदोलन

विश्व मातृभाषा दिवस को लेकर वेद प्रताप वैदिक जी का यह लेख नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हुआ था। देर से पढ़ पाया। पढ़ा तो लगा कि साझा किया जाना चाहिए। बहुत अच्छी जानकारी है- ================= आम तौर पर लोगों को पता नहीं होता कि संयुक्त राष्ट्र 21 फरवरी को विश्व-मातृभाषा …

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सोनू सूद की किताब ‘मैं मसीहा नहीं’ का एक अंश

कोविड 19 महामारी के दौरान अभिनेता सोनू सूद का नाम किसी मसीहा की तरह उभर कर आया। अलग अलग स्थानों पर अलग अलग परिस्थितियों में फँसे लोगों की मदद करने में उन्होंने यादगार भूमिका निभाई। उन्होंने हाल में मीना के अय्यर के साथ मिलकर किताब लिखी है ‘मैं मसीहा नहीं’, …

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सदानंद शाही की कविताएँ

सदानन्‍द शाही के तीन संग्रह प्रकाशित हैं, वे हिंदी के प्रोफ़ेसर हैं। पत्र-पत्रिकाओं में उनकी टिप्पणियाँ हम नियमित पढ़ते रहते हैं। उनकी कुछ कविताएँ पढ़ते हैं-  ================================ 1 इंद्रिय बोध     शब्द   तुम्हारा नाम था वह जो गूंजता रहा मेरे भीतर   मैं आकाश हुआ।       …

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जमुना किनारे इकबाल फारूकी और अज़हर हाशमी  की शानदार जुगलबंदी

जामिया नगर में कैफ़े कारवाँ नामक एक कैफ़े की शुरुआत हुई है, जहाँ से यमुना का नज़ारा दिखाई देता है। एक कैफ़े में लाइब्रेरी भी है और यहाँ कला के आयोजन भी करने की योजना है। 21 फ़रवरी को कैफ़े कारवाँ ने कारवाँ-ए-अदब का आयोजन किया, जो जिमिशा कम्युनिकेशन के …

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‘ठाकरे राजनीति’ की गहरी पड़ताल करती किताब

धवल कुलकर्णी की किताब ‘ठाकरे भाऊ : उद्धव, राज और उनकी सेनाओं की छाया’ की समीक्षा पढ़िए। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब की समीक्षा लिखी है युवा लेखक वसीम अकरम ने- ==================== एक परिवार के दो भाई जब अपनी-अपनी विचारधारा में विपरीत रास्ते पर चल रहे हों, और वह रास्ता अगर …

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अलेक्सान्द्र पूश्किन के उपन्यास ‘दुब्रोव्स्की’ का एक अंश

अलेक्सान्द्र पूश्किन का 10 फ़रवरी 1837 को एक द्वंद्व युद्ध में गंभीर रूप से घायल होने के बाद केवल 38 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. उनके एक लघु उपन्यास “दुब्रोव्स्की” का एक अंश प्रस्तुत है. यह रचना आज से लगभग 170 वर्ष पूर्व लिखी गई थी. मूल …

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वसुधैव कुटुंबकम का नारा लगाना आसान है पालन करना मुश्किल!

प्रज्ञा मिश्रा ब्रिटेन में रहती हैं और समसामयिक मुद्दों पर जानकी पुल पर नियमित रूप से लिखती रहती हैं। इस बार उन्होंने अमेरिका की कैपिटल हिल की घटना से लेकर भारत के किसान आंदोलन तक को लेकर एक विचारपूर्ण लेख लिखा है- =========================== एक बात पहले ही साफ़ करना जरूरी …

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