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Prabhat Ranjan

‘चौरी चौरा: विद्रोह और स्वाधीनता आंदोलन’ पुस्तक का अंश

1922 में आज के ही दिन क्रांतिकारियों ने चौरी चौरा में थाना फूंक दिया था। जिसके बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था। आज इस घटना के 99 साल हो गए। चौरी चौरा की इस घटना को आधार बनाकर सुभाष चंद्र कुशवाहा ने किताब लिखी ‘चौरी चौरा: …

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सरों के धड़ से जुड़ने की कथा: मृणाल पाण्डे

प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे की कथा सीरिज़ बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथाएँ की यह 27वीं कहानी है। शायद ही किसी लेखक ने इतनी लम्बी कथा सीरिज़ लिखी हो। समझ लीजिए आज के ज़माने का पंचतंत्र या हितोपदेश। यह कहानी सिर के धड़ से जुदा होने और जुड़ने की …

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फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘तीन बिंदियाँ’

सोशल मीडिया पर थ्री डॉट्स की चर्चा की चर्चा गर्म है। याद आई फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘तीन बिंदियाँ’। रेणु जी के कहानी संग्रह ‘ठुमरी’ में यह कहानी शामिल है। संकलन का प्रकाशन राजकमल प्रकाशन से हुआ है- ======================= गीताली दास अपने को सुरजीवी कहती है। नाद-सुर-ताल आदि के सहारे …

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अभिषेक ओझा के उपन्यास ‘लेबंटी चाह’ का एक अंश

अभिषेक ओझा का उपन्यास आया है ‘लेबंटी चाह’। यह उपन्यास एक ग्लोबल हो चुके बिहारी की स्मृतियों का कोलाज है। एक तरफ़ तेज भागती दुनिया है दूसरी तरफ ठहरा हुआ जीवन। राजपाल एण्ड संज प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास का एक अंश पढ़िए- ============================ वक़्त के साथ चीज़ें बदलती हैं। …

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स्वरांगी साने की कहानी ‘फाइटर’

स्वरांगी साने की कहानी ‘फाइटर’ पढ़िए- ========================== काव्या ने लगभग भागते हुए आँगन का फाटक खोला, घर के दरवाज़े से एक कदम अंदर रखते हुए वही से चिल्ला कर पूछा- आंटी स्वप्निल कहाँ है? ऊपर अपने कमरे में है क्या? और बिना उत्तर की प्रतीक्षा किए दौड़ते हुए ऊपरी मंजिल …

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मिट्टी में काम करते हुए समय जैसे स्थिर हो जाता है: सीरज सक्सेना

चित्रकार, सेरेमिक कलाकार सीरज सक्सेना के साथ कवि-संपादक राकेश श्रीमाल की बातचीत की किताब आई है ‘मिट्टी की तरह मिट्टी’। सेतु प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब का एक अंश प्रस्तुत है- =================== मिट्टी में काम शुरू करने के बहुत पहले, यानी बचपन में मिट्टी से खेलते हुए, मिट्टी को भूमि …

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बापू की पहली और सर्वश्रेष्ठ जीवनियां कौन सी: विवेक शुक्ला

आज बापू की पुण्यतिथि है। उनकी अनेक जीवनियाँ लिखी गई हैं। उनकी जीवनियों को लेकर यह लेख लिखा है जाने माने पत्रकार श्री विवेक शुक्ला ने। विवेक जी चलते फिरते एनसाइक्लोपीडिया की तरह हैं। नवभारत टाइम्स में उनको रोज पढ़ना दिल्ली को नए सिरे से जानना होता है। आज बापू …

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सेक्स( जेंडर से इतर अर्थों में ), शिव, कामसूत्र और किन्नर समुदाय:

 युवा शोधार्थी प्रियंका नारायण बहुत सामान्य लगने वाले विषयों पर बहुत असामान्य ढंग से लिखती हैं। हिंदी में ऐसे युवा बहुत कम हैं जो परम्परा ज्ञान से भी समृद्ध हों। उदाहरण के लिए यह लेख पढ़िए- =================== सेक्स वैसे तो एक सहज प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है। यह जितना शारीरिक है …

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मेरा ब्लेजर किसी की उतरन नहीं है: श्वेता सिंह

श्वेता सिंह अपने जीवन अनुभवों को कहानी की शक्ल में लिखती हैं। रेडियो जॉकी रही हैं. बीबीसी, ऑल इंडिया रेडियो आदि संस्थानों में ब्रॉडकास्टिंग का अनुभव. इन दिनों The Energy and Resources Institute (TERI) के साथ जुड़ी हैं. अब जानकी पुल के लिए नियमित लिखा करेंगी। आज उनकी यह कहानी …

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किताबों और फिल्मों में कुछ शास्त्रीय और शाश्वत होते हैं, कुछ वक़्ती!

हिंदी में लोकप्रिय और गम्भीर साहित्य की बहस बहुत पुरानी रही है। इसी को अपने इस लेख में रेखांकित किया है युवा लेखिका सुदीप्ति ने। उन्होंने अनेक उदाहरणों के साथ अपनी बात रखी है, जो सोच-विचार और बहस की माँग करती है। इस विषय पर आपके विचार भी आमंत्रित हैं। फ़िलहाल …

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