विमलेन्दु का यह लेख कश्मीर की हमारी रूढ़ छवि को थोड़ा विचलित कर देने वाला है. लेकिन यह भी एक सच है. विमलेन्दु के विचार को जगह देना जनतांत्रिकता का तकाज़ा है- मॉडरेटर ========================================== सबसे पहले कश्मीर के मौजूदा दृश्य पर एक विहंगम नज़र डाल लेते हैं. इसके बाद कश्मीर …
Read More »आर डी बर्मन के विदा गीत का जादू
फिल्म 1942 ए लव स्टोरी का संगीत सच में बहुत सुरीला था. आर डी बर्मन की आखिरी फिल्म थी. इसी फिल्म के गीत ‘कुछ न कहो’ पर नवल किशोर व्यास का लेख- मॉडरेटर ============================= कुछ ना कहो- पंचम का विदा गीत ————————— विधु विनोद चौपडा की 1942- ए लव स्टोरी …
Read More »‘दे फोंफ दे फोंफ दे फोंफ’ और ‘दे गप्प दे गप्प दे गप्प’ वाली गर्मी का किस्सा
रंजन ऋतुराज ‘दालान’ पर पुराने दिनों के किस्से लिखते हैं. अब उन्होंने गर्मी का यह किस्सा लगा कि अपनी गर्मियों के दिन याद आ गए. वह एक दौर था जो बीत चुका है. उस बीते दौर की बड़ी अच्छी बानगी इस छोटे से लेख में मिलती है- मॉडरेटर ======== इस …
Read More »गांधारी का शाप गांधारी की प्रार्थना
महाभारत के किरदार गांधारी को लेकर प्रोफ़ेसर सत्य चैतन्य के इस लेखन का रूपांतरण विजय शर्मा जी ने किया है. एक नए नजरिये एक नई दृष्टि से. कल मदर्स डे है. हमें यह याद रखना चाहिए कि एक माँ गांधारी भी है जो एक एक करके अपने संतानों की मृत्यु का …
Read More »Lata:Sur Gatha- Blunder or Wonder
Attacks and counterattacks, world of literarture is not untouched by this but what matters is identification of right and wrong. Day before yesterday there was an article by Ashutosh Bhardwaj on book written on Lata’s musical journey by Yatindra Mishra.( LATA:SUR GATHA) He unbiasedly touched those points which were left during all …
Read More »देश का किसान बाढ़ से नहीं, राहत के रुपय पाने की लड़ाई से डरता है!
प्रतिष्ठा सिंह अपने लेखन के माध्यम से बिहार के गाँव-समाज की वास्तविक तस्वीर दिखाती हैं. उनकी किताब ‘वोटर माता की जय’ भी उसी का दस्तावेज़ है. बहरहाल, गाँव-किसानों पर उनकी यह मार्मिक टिप्पणी पढ़कर आँखों में आंसू आ गए. मैं भी किसान का बेटा हूँ. अगर गाँव में खेती के हालात …
Read More »काश ऐसा समाज होता जहाँ न ख़रीदार होते न लड़कियां बिकाऊ
प्रतिष्ठा सिंह इटैलियन भाषा पढ़ाती हैं लेकिन अपने समाज से गहरा जुड़ाव रखती हैं. बिहार की महिला मतदाताओं के बीच कम करके उन्होंने ‘वोटर माता की जय’ किताब लिखी जो अपने ढंग की अनूठी किताब है. उनका यह लेख भारत-नेपाल सीमा पर होने वाले स्त्रियों के खरीद फरोख्त का पर …
Read More »रवीन्द्रनाथ की संगीत प्रतिभा अद्वितीय थी
आज रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती है. सम्पूर्ण कलाकार का जीवन लेकर आये उस महान व्यक्तित्व के संगीतकार पक्ष पर हिंदी में बहुत नहीं लिखा गया है. बांगला साहित्य के विद्वान् उत्पल बैनर्जी का यह लेख गुरुदेव की संगीत प्रतिभा को लेकर लिखा गया है जो पढने और संजोने लायक है- …
Read More »धर्म जनता की अफीम है- कार्ल मार्क्स
अपने नॉर्वे प्रवासी डॉ प्रवीण झा का लेखन का रेंज इतना विस्तृत है कि कभी कभी आश्चर्य होता है. उनके अनुवाद में प्रस्तुत है आज कार्ल मार्क्स के उस प्रसिद्ध लेख का अनुवाद किया है जिसमें मार्क्स ने लिखा था कि धर्म जनता की अफीम है- मॉडरेटर ============= यह लेख …
Read More »सीता सही मायने में धरती पुत्री थीं
सुबह मैंने सीता जयंती के मौके पर देवदत्त पट्टनायक की किताब ‘सीता के पांच निर्णय’ का एक प्रसंग साझा किया था. बाद में ध्यान आया कि देवदत्त पट्टनायक की एक और किताब है ‘सीता’ जिसका अनुवाद जानी मानी अनुवादिका रचना भोला यामिनी ने किये है. मंजुल प्रकाशन से आई इस …
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