आजकल कोरोना को लेकर गीत लिखे जा रहे हैं, दीये जलाए जा रहे हैं। युवा लेखक और इलाहाबाद में प्राध्यापक सुजीत कुमार सिंह ने अपने इस लेख में 1893 में लखनऊ के मुंशी नवल किशोर प्रेस से प्रकाशित ‘महारामायण को याद कर रहे हैं, जिसमें महिलाएँ गीत गा गाकर हैज़ा …
Read More »रेणु के साहित्य से परिचित हुआ तो लगा खजाना मिल गया!
यह फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशताब्दी के साल की शुरुआत है। वरिष्ठ लेखक और रेणु की परम्परा के समर्थ हस्ताक्षर शिवमूर्ति जी का लेख पढ़िए रेणु की लेखन कला पर- मॉडरेटर ============= रेणु: संभवामि युगे युगे… रेणु के साहित्य से परिचित हुआ तो लगा खजाना मिल गया। लिखने का कीड़ा …
Read More »एक भू सुंघवा लेखक की यात्राएँ
राकेश तिवारी के यात्रा वृत्तांत ‘पहलू में आए ओर-छोर : दो देश चिली और टर्की’ पर प्रसिद्ध लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ की टिप्पणी। पुस्तक का प्रकाशन सार्थक, राजकमल ने किया है- ======== यात्रावृत्तातों की शैली में रोचक प्रयोग, मीठी व्यंजना, लोक भाषा के प्रयोग, पुरावेत्ता ( जिसे वे स्वयं भू सुंघवा कहते …
Read More »‘उत्तर पैग़म्बर’ जीवन, प्रेम और राग का अद्भुत समागम है
राजकमल से प्रकाशित अरूण देव के कविता संग्रह ‘उत्तर पैग़म्बर’ पर यह टिप्पणी राजीव कुमार की है। राजीव जी इतिहास, साहित्य, सिनेमा के गहरे अध्येता हैं। लिखते काम हैं लेकिन ठोस लिखते हैं- मॉडरेटर ============== अरुण देव के “उत्तर पैगम्बर” की खुली उद्घोषणा है, “वह कोई कातिब नहीं कि आखिरत …
Read More »‘पीली छतरी वाली लड़की’ की काव्य समीक्षा
यतीश कुमार की काव्यात्मक समीक्षा इस बार उदय प्रकाश के उपन्यास ‘पीली छतरी वाली लड़की’ की है। पढ़कर बताइए कैसा लगा- =================== (‘पीली छतरी वाली लड़की’ ) ——————————————- वह रोज आईने में पहले अपनी शक्ल देखता फिर समाज को अपनी शक्ल में खोजता समाज के आईने से प्रतिबिम्ब …
Read More »कितना प्यार करता हूँ मैं इण्डियन फ़िल्म्स से!
एक उभरते हुए रूसी बाल-साहित्यकार हैं- सिर्गेइ पिरिल्यायेव। उन्हें भारत और भारतीय फिल्मों से दीवानगी की हद तक प्यार है। अपनी जीवनी भी उन्होंने “इण्डियन फिल्म्स ” नाम से लिखी है। उसी किताब से एक अंश जिसका अनुवाद किया है आ. चारुमति रामदास – ============================== पहली इण्डियन फ़िल्म, जो मैंने देखी, वो थी फ़िल्म …
Read More »चे गेवारा की जीवनी का एक अंश
पिछले दिनों महान क्रांतिकारी चे गेवारा की जीवनी राजकमल से प्रकाशित हुई थी। वी के सिंह की लिखी इस जीवनी का एक अंश पढ़िए- ===================== स्टूडियो जल्दी ही हम सारे गुयेवारा भाई-बहनो और हमारे संगी-साथियों के लिए पढ़ाई और रिहाइश का अच्छा-खासा अड्डा बन गया। मैं वहाँ अपनी परीक्षाओं की …
Read More »मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास ‘कौन हूँ मैं’ पर एक टिप्पणी
आज हिंदी के हरफ़नमौला लेखक मनोहर श्याम जोशी की पुण्यतिथि है। 2006 में आज के दिन उनका निधन हो गया था। आज प्रस्तुत है उनके मरणोपरांत प्रकाशित उनके उपन्यास ‘कौन हूँ मैं‘ पर राहुल सिंह की टिप्पणी- ====================== मनोहर श्याम जोशी का उपन्यास ‘कौन हूँ मैं‘, सन 2006 में उनके …
Read More »यू. आर. अनंतमूर्ति के प्रसिद्ध उपन्यास ‘घटश्राद्ध’ का एक अंश
यू. आर. अनंतमूर्ति के प्रसिद्ध उपन्यास ‘घटश्राद्ध’ का एक अंश पढ़िए। आजकल प्रिंट किताबों को मँगवाना मुश्किल हो गया है लेकिन राजकमल से प्रकाशित इस उपन्यास को किंडल पर ईबुक में पढ़ सकते हैं। फ़िलहाल यहाँ अंश पढ़िए- मॉडरेटर =============================== अभी अँधेरा ही था। मैं आँखें मलता हुआ आँगन में …
Read More »कुशाग्र अद्वैत की कुछ नई कविताएँ
कुशाग्र अद्वैत बीएचयू में बीए के छात्र हैं और बहुत अच्छी कविताएँ लिखते हैं। उनकी कुछ नई कविताएँ पढ़िए- ================= चाहना जो आवाज़ देगा वो चाहेगा आप पहुँचे जो पुष्प देगा वो चाहेगा आप खिल उठें जो घड़ी देगा वो चाहेगा आपका वक़्त जो जूते देगा …
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