नवल किशोर व्यास रंगकर्मी हैं, अभिनेता हैं और फ़िल्मों पर अच्छा लिखते हैं। उनके कुछ लेख पहले जानकी पुल पर प्रकाशित भी हुए हैं। अभी उनकी किताब आई है ‘सिनेमागोई’, जिसकी समीक्षा लिखी है अमित गोस्वामी ने। अमित जी सरोद वादक हैं और अच्छे ग़ज़लगो हैं। आप यह समीक्षा पढ़िए- …
Read More »शेर, आदमी और ज़ुबान का घाव: मृणाल पाण्डे
बच्चों को न सुनाने लायक बालकथा की यह ग्यारहवीं किस्त है। जानी मानी लेखिका मृणाल पाण्डे लोककथाओं को नए सिरे से लिख रही हैं और वे कथाएँ हमें अपने आसपास की लगने लग रही हैं। आइए इस कथा में जानते हैं कि शेरों ने मनुष्य के ऊपर कब भरोसा करना …
Read More »भगत सिंह को बचाने वाली दुर्गा भाभी की कहानी
त्रिलोकनाथ पांडेय आजकल अपने उपन्यास ‘चाणक्य के जासूस’ के कारण चर्चा में हैं। वे भारत की गुप्तचर सेवा के आला अधिकारी रह चुके हैं। उन्होंने दुर्गा भाभी पर यह लिखा है। दुर्गा भाभी का नाम क्रांतिकारी आंदोलन में प्रमुखता से लिया जाता रहा है। भगत सिंह को गिरफ़्तारी से बचाने …
Read More »दिल्ली से आयी चिट्ठी का जवाब लाहौर से
कल शायर, कलाकार शुएब शाहिद ने ‘लाहौर की दोशीज़ा के नाम’ एक ख़त लिखा था। आज उसका जवाब आया है। जवाब दिया है लाहौर से राबिया अलरबा ने, जो नौजवान पाकिस्तानी कहानीकार, आलोचक और कॉलम लेखक हैं। साहित्य, समाज और सियासत पर अपने विशेष आलोचनात्मक विचारों के लिए भी जानी …
Read More »प्यारी दुश्मन: लाहौर की उस दोशीज़ा के नाम एक ख़त
आज पाकिस्तान की आज़ादी का दिन है। एक ख़त पढ़िए शुऐब शाहिद का। वे संजीदा शायर हैं, चित्रकार हैं। लाहौर की दोशीज़ा के नाम इस ख़त में बँटवारे का दर्द छिपा हुआ है- —————————————————————- प्यारी दुश्मन, बरसों हुए तुम्हें बिछड़े हुए। इतने बरसों में कभी तुम्हें ख़त ना लिख सका। …
Read More »कविता शुक्रवार 9: विपिन चौधरी की कविताएँ वांछा दीक्षित के रेखांकन
कविता शुक्रवार के ‘स्त्री-पर्व’ में आज विपिन चौधरी की कविताएं और वांछा दीक्षित के रेखांकन प्रस्तुत हैं। विपिन चौधरी कवि, लेखक और अनुवादक हैं। विपिन ने रस्किन बांड का कहानी संग्रह (घोस्ट स्टोरीज फ्रॉम राज), रुपा पब्लिकेशन, सरदार अजित सिंह की जीवनी, संवाद पब्लिकेशन का अनुवाद किया है। वे रेडियो नाटक और थिएटर लेखन …
Read More »पुत्री जनम मति देई विधाता
सुरेश कुमार नवजागरणकालीन स्त्री विषयक मुद्दों पर बहुत शोधपरक लिखते हैं। इस लेख में भी उन्होंने 1887 में प्रकाशित एक पुस्तिका की चर्चा के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि दहेज प्रथा उस समय कितनी विकराल समस्या बन चुकी थी। विस्तार से पढ़ने के लिए लेख पर …
Read More »आँखों में पानी और होंठो में चिंगारी लिए चले गए राहत इंदौरी: राकेश श्रीमाल
मुशायरों के सबसे जीवंत शायरों में एक राहत इंदौरी का जाना एक बड़ा शून्य पैदा कर गया है। उनको याद करते हुए यह लेख लिखा है कवि-संपादक-कला समीक्षक राकेश श्रीमाल ने। राहत साहब को अंतिम प्रणाम के साथ पढ़िए- ========================= कितने सारे दृश्य स्मृति में एकाएक चहल-कदमी करने लगते हैं। …
Read More »नर्मदा, नाव के पाल और चित्रकार
लगभग बीस वर्ष पहले इंदौर के निकट नर्मदा किनारे बसे ग्राम पथराड में एक कला शिविर हुआ था। यह इस मायने में नवाचार लिए था कि इसके सूत्रधार युवा शिल्पी-चित्रकार सीरज सक्सेना चाहते थे कि नर्मदा में चलने वाली नावों के पाल पर चित्र बनाए जाएं। वरिष्ठ चित्रकार अखिलेश ने …
Read More »चतुर मूर्ख और बेवकूफ राजा की कथा: मृणाल पाण्डे
बच्चों को न सुनाने लायक बालकथा-10 में इस बार पढ़िए प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे की लेखनी से निकला एक नई कथा। यह कथा गढ़वाली लोककथा पर आधारित है। लेकिन आज भी समकालीन लगने वाला रोचक और प्रासंगिक- ============================= हे गोल्ल देवता पहले तेरा सिमरन। दरिद्रता हर, दु:खों का अंत कर, …
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