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पंकज कौरव की कहानी ‘स्वप्नलोक’

पंकज कौरव ऐसे लेखक हैं जो बहुत अलग अलग तरह के विषयों पर साहस के साथ लिखे हैं और अच्छा लिखते हैं। यह कहानी स्वप्न-यथार्थ, लोक-परलोक के ताने बाने से लिखी गई एक बेजोड़ मौलिक कहानी है। पढ़कर बताइएगा- ====================== उन दिनों सपने सहज ही आ जाया करते थे। कभी …

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अकीरा कुरोसावा की आत्मकथा का एक अंश

महान फिल्मकार अकीरा कुरोसावा ने अपनी आत्मकथा ‘समथिंग लाइक एन ऑटोबायोग्राफी’ में अपने आरंभिक जीवन के बारे में लिखा है, अपने सिनेमाई अनुभवों-विचारों को भी रखा है. उसी के एक छोटे-से अंश का अनुवाद- जानकी पुल. ==================== मुझे लगता है कि आत्मकथा जैसा कुछ लिखने का विचार मुझे फ्रेंच फिल्म-निर्देशक ज्यां रेने की आत्मकथा पढते …

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युवा लेखक अमित गुप्ता की कहानी ‘अमावस’

कल पूर्णिमा थी। आज युवा लेखक अमित गुप्ता की कहानी अमावस पढ़िए- ================ अमावस की रात थी और मैं काफ़ी देर तक खिड़की की देहरी पर बैठा बारिश देख रहा था, रह-रहकर सामने नीम के पेड़ से उल्लू की बोली सुनायी पड़ रही थी। जैसे ही बारिश तेज़ होती, सामने …

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असग़र वजाहत के कुछ क़िस्से

असग़र वजाहत बड़े किस्सागो हैं। आज वे 75 साल के हो गए। जानकी पुल की तरफ़ से उनको बधाई देते हुए उनके कुछ क़िस्से पढ़ते हैं, जो उनकी पुस्तक ‘भीड़तंत्र’ से लिए गए हैं। यह पुस्तक राजपाल एंड संज से प्रकाशित हैं- ========== खतरा एक देश की सीमाओं पर बड़ा …

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समकालीन सिनेमा की दुनिया में हाशिए की जिंदगी

युवा शोधकर्ता आशीष कुमार ने एक अच्छा लेख लिखा है जिसमें उन्होंने यह देखने की कोशिश की है कि हाल की फ़िल्मों में हाशिए के जीवन का चित्रण किस तरह किया गया है। पढ़ने लायक़ लेख है- ================================ मुक्ति कृपा से प्राप्त वस्तु नहीं है। वह यथास्थिति को तोड़ती है। …

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मॉइग्रेंट्स : दृश्य नहीं, अदृश्य में दिखती बेबसी की नियति

जाने-माने लेखक, शायर संजय मासूम ने माइग्रेंट्स नाम से एक शॉर्ट फ़िल्म बनाई है। उसी पर यह टिप्पणी पढ़िए कवि -कला समीक्षक राकेश श्रीमाल की- ==========================  लाकडाउन का लम्बा चला दौर, जो व्यक्ति और अंततः समाज की सुरक्षा के लिए था, एक बड़े वर्ग के लिए महामारी के बरक्स एक …

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इरशाद खान सिकंदर की कहानी ‘मदारी’

इरशाद ख़ान सिकन्दर जाने पहचाने युवा शायर हैं। वे उन शायरों में हैं जो गद्य भी अच्छा लिखते हैं। जैसे यह कहानी पढ़िए। एक अलग मिज़ाज की कहानी जो पूरी रवानी के साथ चलती है। आप भी पढ़िए- =============== तमाशबीन! वो एक तमाशबीन था।सर से पाँव तक तमाशबीन ही तमाशबीन।चेहरे-मोहरे …

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मदरसा -एजुकेशन के दिन

सुहैब अहमद फ़ारूक़ी पुलिस अधिकारी हैं लेकिन संजीदा शायर हैं और अच्छे गद्यकार भी हैं। हम पहले भी पातालकोट पर लिखी उनकी रिव्यू पढ़ चुके हैं। आज मदरसे में पढ़ने के उनके अनुभव पढ़िए। इससे मंडरा शिक्षा की एक झलक भी मिल जाती है- =========== मदरसा और उसमें दी जाने …

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कविता शुक्रवार 3: कृष्ण कल्पित की सात कविताएँ

‘कविता शुक्रवार’ के तीसरे अंक में वरिष्ठ कवि कृष्ण कल्पित की कविताएं और देवीलाल पाटीदार के रेखांकन प्रस्तुत हैं। लिखने की अपनी बेबाक कहन-शैली से चर्चित रहे कवि-गद्यकार कृष्ण कल्पित का जन्म 30 अक्तूबर 1957 को रेगिस्तान के एक कस्बे फतेहपुर-शेखावाटी में हुआ। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से हिन्दी साहित्य …

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भुवनेश्वर: एक जीनियस लेखक की याद

भुवनेश्वर को सम्यक् रूप से समझने के लिए समीर कुमार पाठक का यह लेख अच्छा लगा। वे वाराणसी में प्राध्यापक हैं। लेख आपसे साझा कर रहा हूँ- ==============================  भुवनेश्वर उन बिरले सृजनकर्मियों में थे जिन्होंने अपने छोटे से जीवनकाल में लीक से हटकर अलग किस्म का साहित्य सृजित किया और …

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