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Prabhat Ranjan

लुक छिप बदरा में चमके जैसे चनवा…

जाने माने रंगकर्मी, कथाकार, लोक कलाओं के माहिर विद्वान हृषिकेश सुलभ का यह षष्ठी योग का वर्ष है, इसलिए जानकी पुल पर हम समय समय पर उनकी रचनाएँ, उनके रचनाकर्म से जुड़ी सामग्री देते रहेंगे. आज प्रस्तुत है एक बातचीत जो की है मुन्ना कुमार पाण्डे और अमितेश कुमार ने- …

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ख्वाजा अहमद अब्बास की पटकथा और ‘नीचा नगर’

करीब 60 साल पहले बनी चेतन आनंद की फिल्म ‘नीचा नगर’ हिंदी सिनेमा में सामाजिक यथार्थ को प्रस्तुत करने वाली आरंभिक फिल्मों में थी. जिसकी पटकथा लिखी थी ख्वाजा अहमद अब्बास ने. ख्वाजा अहमद अब्बास की जन्म शताब्दी पर सैयद एस. तौहीद की पेशकश- मॉडरेटर. ============================================= विश्व सिनेमा से प्रेरणा …

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70 के दशक की पत्रकारिता का ‘सच्चा झूठ’

एक जमाने तक हिंदी में कला और सिनेमा लेखन के पर्याय जैसे रहे विनोद भारद्वाज ने हाल में ही एक उपन्यास लिखा है- ‘सच्चा झूठ’, जो 70 के दशक की पत्रकारिता को लेकर है. वह पत्रकारिता का वह दौर था जब साहित्य और पत्रकारिता में फर्क नहीं किया जाता था, …

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गीत ऐसा होना चाहिए जिसमें मैं पूरी तरह खो जाऊँ

युवा लेखक यतीन्द्र मिश्र इन दिनों लता मंगेशकर पर अपनी किताब को अंतिम रूप देने में लगे हैं. इस पुस्तक में लता जी के साथ संगीत को लेकर उनकी बातचीत भी है, जो उनके ग्लैमर से प्रभावित हुए बिना शुद्ध संगीत को लेकर है. एक छोटा सा अंश आज लता …

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लता मंगेशकर: 85 बरस – 85 अमर गीत

युवा लेखक यतीन्द्र मिश्र इन दिनों स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर पर अपनी किताब को अंतिम रूप देने में लगे हैं उन्होंने लता मंगेशकर के 85 वें जन्मदिन पर उनके परामर्श और सहमति से 85 गीतों की एक सूची तैयार की. इनमें से 65 गीत ऐसे निकले जो मैंने सुन रखे …

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मुक्तिबोध का अपूर्व आनंदमय पाठ

संजीव कुमार के व्यंग्य हम सब पढ़ते रहे हैं. वही जिसमें ‘खतावार’ के नाम से वे ख़त लिखते हैं. इस बार प्रसंग मुक्तिबोध की 50वीं पुण्यतिथि का है. यह देखिये, बौद्धिक व्यंग्य कितना मारक होता है- मॉडरेटर. ==================== दो शब्द कई महीने हो गए, ख़तावार ने कोई ख़त नहीं लिखा. …

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सोशल मीडिया की ताकत और सिनेमा

युवा लेखक मिहिर पंड्या फिल्मों पर बहुत तैयारी के साथ लिखते हैं. हमेशा कोशिश करते हैं कि कुछ नया कहा जाए. इसलिए उनका लिखा अलग से दिखाई देता है, अलग सा दिखाई देता है. मिसाल के लिए सोशल मीडिया और सिनेमा के रिश्तों को लेकर लिखे गए उनके इस आलेख …

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लड़की, लड़का, डेट… और घंटे भर का मार्क्सवाद!

हाल के वर्षों में हिंदी में कहानियों की एक शैली नीलेश मिश्र के लोकप्रिय रेडियो प्रोग्राम के लिए लिखने वालों ने भी विकसित की है. ऐसे ही एक लेखक क्षितिज रॉय की कहानियां हाल में पढ़ी. वे वे दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स के विद्यार्थी हैं, छोटी छोटी कहानियां लिखते हैं. …

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विश्व सिनेमा में वीर रस की फिल्में (भाग- १)

आइआइटी पलट युवा लेखक प्रचण्ड प्रवीर इन दिनों भरतमुनि के रस-सिद्धांत के आधार पर विश्व सिनेमा का अवलोकन प्रस्तुत कर रहे हैं. आज उन्होंने वीर रस के आधार पर विश्व सिनेमा की कुछ नायाब कृतियों का मूल्यांकन किया है. रोचक है. पढ़कर बताइए- मॉडरेटर. ================================================= इस लेखमाला में अब तक …

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क्या आप संगीतकार जेपी कौशिक के बारे में जानते हैं?

संगीतकार जगफूल सिंह कौशिक उर्फ़ जेपी कौशिक ने ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्मों ‘शहर और सपना. तथा ‘सात हिन्दुस्तानी’ में संगीत दिया था. उसी ‘सात हिन्दुस्तानी’ में जिससे अमिताभ बच्चन ने अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू किया था. आज वे गुमनामी का जीवन जी रहे हैं. उनके ऊपर बड़ा रोचक लेख …

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