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समीक्षा

स्मृतियों में धड़कता इलाहाबाद

वरिष्ठ लेखिका ममता कालिया की किताब ‘जीते जी इलाहाबाद’ पर यह सुंदर टिप्पणी लिखी है आलोक कुमार मिश्रा ने। आप भी पढ़िए और ममता जी को जन्मदिन की शुभकामनाएँ दीजिए- ============== ‘इलाहाबाद मेरे लिए यूटोपिया में तब्दील होता जा रहा है। वह गड्ढों-दुचकों भरा ढचर-ढूँ शहर जहाँ ढंग की कोई …

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आशुतोष राणा की किताब पर यतीश कुमार की टिप्पणी

फ़िल्म अभिनेता आशुतोष राणा के व्यंग्य लेखकों का संकलन प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है- ‘मौन मुस्कान की मार’। इस पुस्तक पर एक सुंदर टिप्पणी लिखी है कवि यतीश कुमार ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ===================   कई बड़े कलाकारों के साक्षात्कार में सुना है कि अभिनय शैली में …

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स्त्रीवाद और आलोचना का संबंध

स्त्री विमर्श पर युवा लेखिका सुजाता की एक ज़रूरी किताब आई है ‘आलोचना का स्त्री पक्ष’। इस किताब की समीक्षा लिखी है दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थी महेश कुमार ने। पुस्तक का प्रकाशन राजकमल प्रकाशन ने किया है- =================================== ‘आलोचना का स्त्री पक्ष’ सुजाता जी द्वारा लिखित हिंदी आलोचना …

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मृत्यु कथा की उत्तर कथा: द डेथ स्क्रिप्ट’ की समीक्षा

प्रसिद्ध पत्रकार-लेखक आशुतोष भारद्वाज ने बस्तर पर अंग्रेज़ी में किताब लिखी है ‘द डेथ स्क्रिप्ट’, जो बस्तर पर लिखी एक बेहतरीन किताब है। हार्पर कोलिंस से प्रकाशित इस किताब की समीक्षा लिखी है दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गया के छात्र महेश कुमार ने। महेश कुमार वहाँ से हिंदी में एमए …

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ताइवान के कवि ली मिन-युंग की कविताओं पर टिप्पणी

ताइवान के वरिष्ठ कवि ली मिन-युंग की कविताओं का हिन्दी अनुवाद कवि और अनुवादक देवेश पथ सारिया ने किया है। किताब कलमकार मंच, जयपुर से प्रकाशित हुई है। उस पुस्तक पर यह टिप्पणी लिखी है युवा लेखक मनीष कुमार यादव ने- ====================================== ली मिन-युंग की कविताएँ किसी महत्वपूर्ण मानवीय विशेषता …

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‘पितृ-वध’ से निकलता स्त्री-स्वर

आशुतोष भारद्वाज की पुस्तक ‘पितृवध’ हाल के दिनों में प्रकाशित मेरी प्रिय पुस्तकों में एक रही है। इसी पुस्तक पर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की छात्रा अनुरंजनी ने एक उल्लेखनीय टिप्पणी की है। आप लोगों से साझा कर रहा हूँ- ============================================ ‘पितृ-वध’ आशुतोष भारद्वाज की ऐसी पुस्तक है …

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कठिन विषय का बेहतर निर्वाह

देवेश पथ सारिया उन कुछ युवा कवियों में हैं जो अच्छा गद्य भी लिखते हैं। ख़ासकर आलोचनात्मक गद्य। यह टिप्पणी उन्होंने युवा लेखिका अणुशक्ति सिंह के उपन्यास ‘शर्मिष्ठा’ के ऑडियो बुक को सुनकर लिखी है। वाणी प्रकाशन से प्रकाशित यह उपन्यास ऑडियो बुक में स्टोरीटेल पर उपलब्ध है। आप युवा …

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आमाके… दाओ! आमाके…दाओ: शरतचंद्र और ‘आवारा मसीहा’

‘आवारा मसीहा’ शरतचंद्र की जीवनी है। विष्णु प्रभाकर की बरसों की तपस्या का परिणाम। इस यादगार किताब पर एक पठनीय टिप्पणी लिखी है लेखिका निधि अग्रवाल ने। आप भी पढ़िए- ====================== आमाके… दाओ! आमाके…दाओ! डॉ. निधि अग्रवाल कहते हैं जब रवींद्रनाथ ठाकुर ने शरतचन्द्र से कहा था-  “तुम अपनी आत्मकथा …

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‘बिसात पर जुगनू’ की काव्यात्मक समीक्षा

यतीश कुमार की काव्यात्मक समीक्षा शैली से हम सब बखूबी परिचित हैं। आज उन्होंने अपनी शैली में वंदना राग के उपन्यास ‘बिसात पर जुगनू’ की समीक्षा की है। मौका लगे तो पढ़िएगा- ===============================   सुना है कि पुराने ज़माने में जुगनुओं को एक डिब्बे में बंद कर उससे रात में …

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ऐसी-कैसी औरत है जिसका होना इतना सुंदर है!

अनुकृति उपाध्याय का पहला उपन्यास ‘नीना आँटी’ जब से आया है उसकी चर्चा लगातार बनी रही है। राजपाल एंड़ संज से प्रकाशित इस उपन्यास पर युवा लेखिका प्रदीपिका सारस्वत की टिप्पणी पढ़िए- ================================= किसी सिनेमा, कहानी या कई बार किसी तस्वीर के पात्र को देखकर ऐसा लगता है न कि …

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