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पीढ़ियों से लोकमन के लिए सावन यूं ही मनभावन नहीं रहा है सावन  

प्रसिद्ध लोक गायिका चंदन तिवारी केवल गायिका ही नहीं हैं बल्कि गीत संगीत की लोक परम्परा की गहरी जानकार भी हैं, विचार के स्तर पर मज़बूती से अपनी बातों को रखती हैं। कल से सावन शुरू हो रहा है, सावन में गाए जाने वाले गीतों की परम्परा को लेकर उनका …

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मेरी हिम्मत देखना मेरी तबीयत देखना

अग्रज और बाज़ौक शायर पवनजी ने जब ‘पालतू बोहेमियन’ पर मुझे रुक्के में लिखकर भेजा और इस ताक़ीद के साथ लिखकर भेजा कि ग़ालिब का एक मिसरा तुमने बहर से बाहर लिख दिया है और कमबख़्त उसी को शीर्षक भी बना दिया। उनकी यह शायराना टिप्पणी सबसे अलग थी लेकिन जानकी …

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आलोक मिश्रा की ग़ज़लें

आज पढ़िए युवा शायर आलोक मिश्रा की कुछ ग़ज़लें- त्रिपुरारी =============================== 1 तुम्हारे साये से उकता गया हूँ मैं अपनी धूप वापस चाहता हूँ कहो कुछ तो ज़ुबाँ से बात क्या है मैं क्या फिर सेे अकेला हो गया हूँ मगर ये सब मुझे कहना नहीं था न जाने क्यों …

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आ. चारुमति रामदास की कहानी ‘ऐसा भी होता है!’

आ. चारुमति रामदास हैदराबाद में प्रोफ़ेसर रही हैं। रूसी भाषा से उन्होंने अनेक कहानियों का हिंदी में अनुवाद किया है जिसमें मिखाईल बुलगाकोव का उपन्यास ‘मास्टर एंड मार्गरीटा’ भी है। आज उनकी एक छोटी सी कहानी जो कुछ कुछ जादुई यथार्थवाद जैसी है। आप भी पढ़िए- मॉडरेटर ======================= हम समुन्दर …

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वैशाली की कन्या और कमल के फूल

वरिष्ठ लेखिका गीताश्री आजकल वैशाली के भग्नावशेषों में बिखरी प्राचीन कथाओं की खोज कर रही हैं। यह उस ख़ज़ाने की पहली कहानी है- =================================== वैशाली के खंडहरो में जाने कितनी प्रेम कथाएं सांसें लेती हैं। उन कथाओं के नाम कई स्तूप हैं। कुछ तो नष्ट हो गए, कुछ अब भी …

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त्रिलोक नाथ पांडेय की जासूसी कहानी ‘आस्था’

भारत सरकार के गुप्तचर ब्यूरो में बहुत वरिष्ठ पद से सेवानिवृत्त त्रिलोक नाथ पाण्डेय अब साहित्य-साधना में लग गए हैं. राजकमल प्रकाशन से अभी हाल में आये इनके उपन्यास ‘प्रेमलहरी’ ने काफी ख्याति अर्जित की है. चाणक्य के जासूसी कारनामों पर आधारित उनका शोधपरक ऐतिहासिक उपन्यास शीघ्र ही आने वाला …

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मार तमाम के दौर में ‘कहीं कुछ नहीं’

मैंने अपनी पीढ़ी के सबसे मौलिक कथाकार शशिभूषण द्विवेदी के कहानी संग्रह ‘कहीं कुछ नहीं’ की समीक्षा  ‘हंस’ पत्रिका में की है। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह की समीक्षा हंस के नए अंक में प्रकाशित हुई है। जिन्होंने न पढ़ी हो उनके लिए- प्रभात रंजन सन 2000 के बाद …

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कहाँ फँस गए कमालुद्दीन मियाँ?

उषाकिरण खान हिंदी की वरिष्ठ लेखिका हैं और उनके लेखन में बहुत विविधता रही है। उनकी ताजा कहानी पढ़िए। यह कहानी उन्होंने ख़ुद टाइप करके भेजी है- मॉडरेटर ================================ कहाँ फँस गये कमालुद्दीन मियाँ कमाल ही कहे जाते हैं। वे क़ुतुब मियाँ के इकलौते चश्मेचिराग थे। चार खूबसूरत बेटियों के …

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‘लौंडे शेर होते हैं’ उपन्यास का एक अंश

आज युवा लेखन में तरह तरह के प्रयोग हो रहे हैं। कथा से लेकर शीर्षक तक तरह तरह के आ रहे हैं। युवा पाठकों को हिंदी से जोड़ पाने में इस तरह के प्रयास सार्थक भी हो रहे हैं। हिंद युग्म से ऐसा ही एक उपन्यास आया है कुशल सिंह …

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प्लेन व्हाइटवाश घरों की हरी-भरी बालकनियां!

युवा लेखिका पूनम दुबे के यात्रा संस्मरण अच्छे लगते हैं। कोपेनहेगन पर उनका यह छोटा सा गद्यांश पढ़िए- मॉडरेटर ========================================================= विलियम शेक्सपियर और उनके लिखे नाटक “रोमियो और जूलियट” को कौन नहीं जानता. रोमियो और जूलियट की कहानी एपिटोम है प्यार का! इसी प्ले में एक बहुत ही प्रसिद्ध सीन …

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