हाल में आई फ़िल्म ‘कोबाल्ट ब्लू’ और तक़रीबन पाँच साल पुरानी फ़िल्म ‘कॉल मी बाई योर नेम’ पर यह टिप्पणी युवा लेखिका और बेहद संवेदनशील फ़िल्म समीक्षक सुदीप्ति ने लिखी है। सुदीप्ति फ़िल्मों पर शानदार लिखती हैं लेकिन शिकायत यह है कि कम लिखती हैं। फ़िलहाल यह टिप्पणी पढ़िए- =================== …
Read More »विशाखा मुलमुले की कुछ कविताएँ
विशाखा मुलमुले समकालीन कविता का जाना-पहचाना नाम है। आज उनकी कुछ कविताएँ पढ़िए- ================= 1 ) जाने तक के लिए —————————- जाने तक के लिए फूलों तुम दिखला दो अपनी रंग सुगन्ध कपास तुम घेर लो बन के कोमल वसन अंत समय तो द्वार बंद होंगे नासिका के …
Read More »कोबाल्ट ब्लू : लेबलिंग से पूरी तरह से गुरेज
नेटफलिक्स पर एक फिल्म है ‘कोबाल्ट ब्लू’, इसकी बहुत अच्छी समीक्षा लिखी है किंशुक गुप्ता ने। किंशुक गुप्ता मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ लेखन से कई वर्षों से जुड़े हुए हैं। अंग्रेज़ी की अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कविताएँ और कहानियाँ प्रकाशित। द हिंदू, द हिंदुस्तान टाइम्स, द …
Read More »विनोद शाही की ग्यारह कविताएं
आज पढ़िए जाने माने कवि-आलोचक विनोद शाही की कविताएँ। समकालीन संद्र्भों में प्रासंगिक कविताएँ- ======================= 1 प्रगति के अंडे एक फूल खिला वनस्पति की एक तितली उग आई। एक प्रेमी ने कहा, सुंदर है चलो इसका नाम रति रख देते हैं। उसे देख, आकाश में …
Read More »क़स्बाई जीवन और शहर में विस्थापित लोक
आज पढ़िए विनोद पदरज के कविता संग्रह पर टिप्पणी। संभावना प्रकाशन से प्रकाशित उनके संग्रह ‘आवाज़ अलग-अलग है’ पर यह टिप्पणी लिखी है युवा कवि देवेश पथ सारिया ने- ============ विनोद पदरज लोक जीवन के कवि हैं। उनकी नई पुस्तक ‘आवाज़ अलग-अलग है’ में प्रत्येक कविता पठनीय है और …
Read More »विमलेश त्रिपाठी का स्तम्भ ‘एक गुमनाम लेखक की डायरी’-1
आज युवा कवि विमलेश त्रिपाठी का जन्मदिन है। आज के दिन वे जानकी पुल के लिए एक साप्ताहिक स्तम्भ लिखेंगे। ‘एक गुमनाम लेखक की डायरी’ नामक स्तम्भ की पहली किस्त पढ़िए- ======================= मेरा जन्म ऐसे परिवेश में हुआ जहां लिखने-पढ़ने की परम्परा दूर-दूर तक नहीं थी। कहने को हम ब्राह्मण …
Read More »कांदुर कड़ाही: चूल्हे-चौके से बाहर रौशन होती एक दुनिया
नाटककार, अभिनेत्री विभा रानी का उपन्यास आया है ‘कांदुर कड़ाही’। यह हिंदी में अपने ढंग का अनूठा उपन्यास है। कश्मीर और बिहार की दो विस्थापित स्त्रियों की स्मृतियाँ हैं, देश भर की रेसिपी है और अपनापे की एक कहानी। वनिका पब्लिकेशंस से प्रकाशित इस उपन्यास पर सारंग उपाध्याय ने यह …
Read More »उर्मिला गुप्ता का लेख ‘आधा आसमान’
आज पढ़िए उर्मिला गुप्ता का यह लेख जो अनुवाद के बहाने आधी आबादी की बात को बड़ी गम्भीरता से उठाने वाली है। उर्मिला गुप्ता अनुवादक, संपादक हैं। आइए उनका लेख पढ़ते हैं- =================================== बात शुरू हुई माओ की लाइन ‘women hold up half the sky’ के हिंदी समानांतर से। शाब्दिक …
Read More »मनोहर श्याम जोशी और सोप ऑपेरा के आखिरी दिन!
आज यानी 30 मार्च को हिंदी में अपने ढंग के अकेले लेखक मनोहर श्याम जोशी की पुण्यतिथि है. देखते देखते उनके गए 16 साल हो गए. आइए पढ़ते हैं उनके सोप ओपेरा लेखन के दिनों को लेकर एक छोटा सा संस्मरण- प्रभात रंजन ====================== 1995 की वह जनवरी मुझे कई कारणों से याद …
Read More »मृणाल पाण्डे की कहानी ‘गाय पर कहानी’
आज पढ़िए प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे की नई कहानी। आज के संदर्भों में एक चुभता हुआ व्यंग्य- ========================== मेरी पत्नी को एक गाय चाहिये। एक बेटा उसे मिल चुका है। मेरी पत्नी विनी कंप्यूटर साइंटिस्ट है। बेटा उसने तब पैदा किया, जब उसे पक्का यकीन हो गया कि डिजिटल वैज्ञानिक …
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