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वादे जुलूस नारे फिर-फिर वही नज़ारे

बिहार विधानसभा चुनावों के समय यह लिखा था. अब यूपी चुनावों के समय  इस पोस्ट की याद आ गई- प्रभातबिहार में विधानसभा चुनाव हैं. मतदान शुरू होने में दस-बारह दिन रह गए हैं. लेकिन मुजफ्फरपुर में देख रहा हूँ शहर की दीवारें साफ़ हैं, न नारों की गूँज है, न …

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गोपाल सिंह नेपाली की कुछ भूली-बिसरी कविताएँ

 अगला साल हिंदी के उपेक्षित कवि गोपाल सिंह नेपाली की जन्मशताब्दी का साल है. इसको ध्यान में रखते हुए उनकी कविताएँ हम समय-समय पर देते रहे हैं. आगे भी देते रहेंगे- जानकी पुल. एक रुबाई अफ़सोस नहीं इसका हमको, जीवन में हम कुछ कर न सके झोलियाँ किसी की भर …

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य्योसा, योसा, ल्योसा, लोसा सब उसके ही नाम हैं.

आज मुझे अंग्रेजी कवि आगा शाहिद अली की पंक्तियाँ याद आ रही हैं. उसका सीधे-सीधे अनुवाद न सही भावानुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ- वे मुझसे शाहिद का मतलब पूछ रहे हैं/ मेरे दोस्त फ़ारसी में उसका मतलब होता है महबूब और अरबी में गवाह. मारियो वर्गास ल्योसा को नोबेल पुरस्कार …

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