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यह जाते हुए चैत्र की शाम है

आज आलोक श्रीवास्तव की कविताएँ. ‘वेरा उन सपनों की कथा कहो’ नामक अपने पहले ही संग्रह से खास पहचान बनाने वाले इस कवि का नया संग्रह हाल में ही आया है ‘दिखना तुम सांझ तारे को’. प्रस्तुत हैं उसी संग्रह की कुछ चुनी हुई कविताएँ- जानकी पुल. 1 तुम्हारे वसंत …

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सभ्यता की सुबह में इतिहास की सैर

वरिष्ठ संपादक-लेखक ओम थानवी ने ‘मुअनजोदड़ो’ लिखी भले यात्रा-वृतांत की शैली में है लेकिन पुस्तक में एक इतिहासकार-सी सजगता भी है, पुरात्वेत्ता-सी बारीकी भी और एक कलाकार की कल्पनाशीलता भी. लेखक-कवि-पत्रकार प्रियदर्शन का यह लेख इसी पुस्तक को समझने-समझाने का एक सुन्दर प्रयास है- जानकी पुल. ओम थानवी की ख्याति …

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सुनो यह बारिश के बादलों की गर्जन नहीं है

मूलतः इंजीनियरिंग के छात्र आस्तीक वाजपेयी की ये कविताएँ जब मैंने पढ़ी तो आपसे साझा करने से खुद को रोक नहीं पाया. इनके बारे में मैं अधिक क्या कहूँ ये कविताएँ अपने आपमें बहुत कुछ कहती हैं- इतिहास, वर्तमान, जीवन, मरण- कवि की प्रश्नाकुलता के दायरे में सब कुछ है …

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