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हम से नज़र मिलाइए होली का रोज़ है / तीर-ए-नज़र चलाइए होली का रोज़ है

जो लोग उर्दू-हिंदी लिटरेचर से तआल्लुक़ रखते हैं, उनके ज़ेहन में होली के ख़याल के साथ नज़ीर अकबराबादी की नज़्म ‘होली की बहारें’ ज़रूर आती होगी। मन गुनगुनाने लगता होगा, ‘जब फागुन रंग झमकते हों, तब देख बहारें होली की’। ये बहुत मशहूर नज़्म है। लेकिन इसके अलावे भी उर्दू …

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होली सिर्फ हिन्दुओं का नहीं हिन्दुस्तान का पर्व है- अब्दुल बिस्मिल्लाह

होली का पर्व अलग अलग रंगों के एक हो जाने का पर्व है. इसे पहले धर्म से जोर कर नहीं देखा जाता था. प्रसिद्ध लेखक अब्दुल बिस्मिल्लाह के इस लेख से यही पता चलता है- मॉडरेटर =========================== बनारस की होली का हाल सुनिए, यहाँ, यानी दिल्ली में तो रंग खेलने …

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प्रशांत किशोर “लीजेंड” बनते बनते रह गए या बन ही गए?

कल से कांग्रेस की शर्मनाक हार और रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर स्टेटस लिखे जा रहे हैं, चुटकुले बनाए जा रहे हैं. कल वे ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे थे. प्रतिष्ठा सिंह ने अपनी किताब ‘वोटर माता की जय’ में पीके के बारे में भी लिखा था. पीके ने जब …

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