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उनके पास ज्‍यादा काम नहीं है तभी तो लिखते हैं!

हमारे समाज, खासकर हिंदी समाज में लेखक नाम की संज्ञा अब भी कोई खास प्रभाव नहीं पैदा कर पाती, उसे फालतू आदमी समझा जाता है. मनोहर श्याम जोशी ने एक प्रसंग का उल्लेख किया है कि एक बार उनके घर में अज्ञेय बैठे हुए थे कि तभी उनके एक रिश्तेदार …

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मेरे लेखन की प्रेरणा यश और अर्थ की आकांक्षा तो बिलकुल नहीं है:नंदकिशोर नवल

प्रसिद्ध आलोचक नंदकिशोर नवल जब 75 साल के हुए थे तब उनसे यह बातचीत की थी योगेश प्रताप शेखर ने, जो समकालीन पीढ़ी के प्रखर आलोचक और प्राध्यापक हैं। नवल की स्मृति में यह बातचीत पढ़िए- मॉडरेटर  ==================================== १. इन दिनों आप क्या लिख रहे हैं ?  कुछ उसके बारे …

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क्या सवाल सचमुच किसी लेखक के इलाज कराने और उन्हें बचाने भर का है?

अशोक वाजपेयी ने अपने स्तंभ ‘कभी-कभार’ में कल लेखकों की मदद के लिए एक कल्याण कोष बनाये जाने की अपील की है. अपील तो उन्होंने वरिष्ठ लेखकों से की थी लेकिन प्रथम प्रतिक्रियास्वरूप युवा लेखक विनीत कुमार ने अपनी पहली प्रकाशित पुस्तक ‘मंडी में मीडिया’ की रायल्टी इस मद में …

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