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हरे प्रकाश उपाध्याय की लम्बी कविता ‘खंडहर’

बड़ा जटिल समय है. समाज उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. एक बड़ा परिवर्तन घटित हो रहा है. हरेप्रकाश उपाध्याय की कविता ‘खंडहर’ उसी को समझने की एक जटिल कोशिश की तरह है- मॉडरेटर ========================================= खंडहर भयानक परिदृश्य है डरा रहा है कहीं कोई विलाप…. कोई चिल्ला रहा है …

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रविंदर सिंह लेखक थे अब कंपनी बन गए!

अभी वैलेंटाइन डे पर रविंदर सिंह का उपन्यास हिंदी में रीलिज हुआ था- ये प्यार क्यों लगता है सही! होली आते-आते उनसे जुड़ी एक और खबर आ गई. उन्होंने ब्लैक इंक नाम से एक प्रकाशन उद्यम शुरू किया है जिसमें अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन समूह हार्पर कॉलिन्स उनका साझीदार होगा. समकालीन अंग्रेजी …

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भगवा जीता इस फगवा में, गावे गाम भदेस। जोगीरा सा रा रा रा।”

होली पर स्पेशल चिट्ठी नॉर्वे से डॉ. व्यंग्यकार प्रवीण कुमार झा की आई है. भगवा के फगवा की चर्चा वहां भी है. कवि कक्का पूरे रंग में हैं- मॉडरेटर ==================== कवि कक्का आज रंग में हैं। पिछले महिने ही अपना वामपंथी लाल जनेऊ बदल कर केसरिया जनेऊ किया, और होली …

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