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भारतीय सिनेमा का लास्ट लियर

युवा लेखक कुणाल सिंह सिनेमा की गहरी समझ रखते हैं. हाल में ही दिवंगत हुए फिल्मकार ऋतुपर्णो घोष पर उनका यह लेख रेखांकित किये जाने लायक है. ऋतुपर्णो घोष पर इस लेख में अनेक नई जानकारियां हैं, बंगला सिनेमा परंपरा में उनके योगदान का सम्यक मूल्यांकन भी. एक अवश्य पठनीय …

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चाँद! उस रात तुम कितने सुंदर लग रहे थे

स्वाति अर्जुन को हम एक सजग पत्रकार के रूप में जानते रहे हैं, वह एक संवेदनशील कवयित्री भी हैं इसका पता इन कविताओं को पढ़कर चला. घर-परिवार, आस-पड़ोस के प्रति संवेदनशील दृष्टि, भाषा के सहज प्रयोग, सहज जिज्ञासाएं, भावना और बुद्धि का संतुलन- स्वाति अर्जुन की कवितायेँ हमें पढने के …

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जाल बहेलिया ही बिछा सकता है जानवर नहीं

प्रियदर्शन की ये कविताएं प्रासंगिक भी हैं और बहुत कुछ सोचने को विवश भी करती हैं- ‘जानवरों से हमें माफ़ी मांगनी चाहिए’- जानकी पुल. ===========================  जानवरों से हमें माफ़ी मांगनी चाहिए एक लोमड़ी चालाक होती है, सियार शैतान सांप ख़तरनाक बाघ डरावना गधा मूर्ख घोड़ा तेज़ और कुत्ता वफ़ादार, ये …

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