कवि-लेखक यतीश कुमार की किताब आई ‘बोरसी भर आँच: अतीत का सैरबीन’। संस्मरण विधा की …
Read More »तात, बंधु, सखा, चिर सहचर
प्रभाष जोशी आज होते तो ७५ साल के होते. ओम थानवी का यह लेख ‘जनसत्ता’ और प्रभाष जोशी के संबंधों को लेकर ही नहीं पत्रकारिता की उस परंपरा की भी याद दिलाती है, जो बाजार के चमक-दमक के इस दौर में भी अपनी जिद पर कायम है. ‘जनसत्ता’ में आज …
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