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अमलतास के फूल खिल चुके

आज सत्यानन्द निरुपम की कविताएँ. वे मूलतः कवि नहीं हैं, लेकिन इन चार कविताओं को पढकर आपको लगेगा की वे भूलतः कवि भी नहीं हैं. गहरी रागात्मकता और लयात्मकता उनकी कविताओं को एक विशिष्ट स्वर देती है, केवल पढ़ने की नहीं गुनने की कविताएँ हैं ये. इस विचार-आक्रांत समय में …

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अरिंदम चौधरी को गुस्सा क्यों आता है?

मैनेजमेंट गुरु अरिंदम चौधरी ने दिल्ली प्रेस की प्रसिद्ध सांस्कृतिक पत्रिका कारवां(the caravan) पर मानहानि का मुकदमा ठोंक दिया है, वह भी पूरे ५० करोड़(500 मिलियन) का. कारवां के फरवरी अंक में सिद्धार्थ देब ने एक स्टोरी की थी अरिंदम चौधरी के फिनोमिना के ऊपर. अरिंदम iipm जैसे एक बहुप्रचारित …

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उर्दू शायरी को आज़ाद करने वाले राशिद

उर्दू के विद्रोही शायर नून मीम राशिद की जन्मशताब्दी चुपचाप गुज़र गई. उनकी शायरी और शख्सियत पर प्रेमचंद गाँधी का यह लेख- जानकी पुल. उर्दू शायरी पर बरसों से क्‍या सदियों से यह आरोप लगता रहा है कि वह अपने शिल्‍प और अंतर्वस्‍तु दोनों में बेहद जकड़ी हुई है और …

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