Recent Posts

अनुपम त्रिपाठी की तीन कविताएँ

आज पढ़िए युवा कवि अनुपम त्रिपाठी की कविताएँ। बहुत साधारण प्रसंगों में गहरे संकेत छोड़ने वाली इन कविताओं को पढ़िए। एक अलग तरह की आत्मीयता दिखाई देगी- ========== 1 लकड़ी के तिपहिए को डगराने से पहले की स्मृति में जो हाथ याद आता है मिट्टी की जमीन पर पड़ी हथेलियां …

Read More »

कला की शमशीर पर विशुद्ध चेतना की धार

आज वरिष्ठ पेंटर-लेखक अखिलेश का जन्मदिन है। अभी हाल में ही सेतु प्रकाशन से किताब आई है ‘इस प्रकार: चित्रकार अखिलेश से संवाद’। इसी पुस्तक के बहाने पढ़िए वरिष्ठ लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ की यह टिप्पणी- ============= वैसे मैं अच्छी किताबों और अच्छी चॉकलेट्स को लेकर अधीर बच्चे सी हूँ जो …

Read More »

समवाय : कलात्मक एवं वैचारिक प्रतिबद्धताओं का कोलाज 

21-22 जुलाई को मण्डला में रजा न्यास की ओर से ‘समवाय’ का आयोजन किया गया था। उसकी विस्तृत रपट लिखी है कवयित्री स्मिता सिन्हा ने- =================== मम्मी, आपको देर हो गई ना आने में। हमारे परफॉर्मेंस पर लोगों ने खूब तालियां बजाईं। बहुत सराहा गया हमें।’ बारिश के बूंदा-बांदी में …

Read More »