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इस आयोजन में कई परंपराएं टूटी हैं

हमारे प्रिय लेखक असगर वजाहत ने पटना लिटरेचर फेस्टिवल के बहाने साहित्य और सत्ता के संबंधों को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. आप भी देखिये- जानकी पुल. =========================================== पिछले महीने बाईस से चौबीस मार्च तक चले पटना साहित्य समारोह के संबंध में रपटें और समाचार प्रकाशित हो चुके हैं …

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जिसने औपनिवेशिक भाषा को औपनिवेशिक अहंकार से मुक्त करवाया

महान लेखक चिनुआ अचीबे को श्रद्धांजलि देते हुए यह लेख मैंने यह लेख लिखा था, जो कल ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित हुआ था. आप लोगों से साझा कर रहा हूँ- प्रभात रंजन  =================================================== चिनुआ अचीबे के उपन्यास ‘थिंग्स फॉल अपार्ट’ का नायक पर ओकोनक्वो पूछता है- ‘क्या गोरा आदमी ज़मीन …

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दिन एक सितम, एक सितम रात करो हो

पटना लिटरेचर फेस्टिवल में जो लोग शामिल हुए उनके लिए शायर कलीम आजिज़ को सुनना भी एक यादगार अनुभव रहा. शाद अज़ीमाबादी की परंपरा के इस शायर ने उर्दू के पारंपरिक छंदों में कई ग़ज़लें कही हैं और वे बेहद मशहूर भी हुई हैं. उनकी कुछ ग़ज़लें इमरजेंसी के दौरान …

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