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फेसबुक पर विद्वानों के अपने-अपने अज्ञेय

·         बात शुरु हुई थी अनिल यादव के इंटरव्यू में आए  अज्ञेय के इस सन्दर्भ से– मुझे लगता है कि हिंदी के पास अज्ञेय के रूप में एक अपना रवींद्रनाथ टैगोर था. हमने उसे नहीं पहचाना और खो दिया- देखते-देखते यह फेसबुक पर अज्ञेय को लेकर एक गंभीर …

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हर स्थिति और हर काल में और न्यूट्रल था हर हाल में

प्रसिद्ध कवि बोधिसत्व की यह कविता हमारे समाज पर गहरा व्यंग्य करती है. आप भी पढ़िए ‘न्यूट्रल आदमी’, बनिए नहीं- जानकी पुल. ================ न्यूट्रल आदमी वह हिंद केशरी नहीं था वह भारत रत्न नहीं था वह विश्व विजेता नहीं था किंतु सदैव था सर्वत्र था वह और चाहता सब का …

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‘तुगलक’ से रंगमंच को क्या मिला?

भानु भारती के निर्देशन में गिरीश कर्नाड के नाटक ‘तुगलक’ का भव्य मंचन दिल्ली के फिरोजशाह कोटला के खंडहरों में हुआ. इस नाटक की प्रस्तुति को लेकर बहुत अच्छी समीक्षा लिखी है अमितेश कुमार ने- जानकी पुल. ================================ “निर्देशक का यह मूलभूत कर्तव्य है कि वह नाटक के अर्थ को …

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