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साहित्य ‘कुबड़ों का टूर्नामेंट’ है

गिरिराज किराडू हिंदी के ‘भारतभूषण’ कवि हैं, प्रतिलिपि.इन के कल्पनाशील संपादक हैं, प्रतिलिपि बुक्स के निदेशक हैं, कुछ अलग तरह के साहित्यिक आयोजनों से जुड़े हैं. आज उनकी यह डायरी का अंश जो साहित्यिक आयोजनों के एक और पहलू से हमें रूबरू करवाती है- जानकी पुल. एक लेखक–आयोजक की डायरी: …

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अपर्णा मनोज की कहानी ‘द ब्लू प्रिंट’

उपसंहार से शुरु होने वाली इस कहानी के बारे में वाचिका का कहना है कि यह कहानी नहीं बस उसका खाका है, ‘ब्लू प्रिंट’. कितना कुछ तो होता है जो अनकहा रह जाता है, कितना कुछ अनाम रह जाता है. टुकड़ों-टुकड़ों में, कभी डायरी, कभी जर्नल की शक्ल में जो …

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सपने में सेंध मारने लगा है ईश्‍वर

राकेश श्रीमाल की कविताएँ ‘हिय आँखिन प्रेम की पीर तकी’ के मुहावरे में होती हैं. कोमल शब्द, कोमल भावनाएं, जीवन-प्रसंग- सब मिलकर कविता का एक ऐसा संसार रचते हैं जहाँ ‘एक अकेला ईश्वर’ भी बेबस हो जाता है. उनकी कुछ नई कविताओं को पढते हैं- जानकी पुल. एक अकेला ईश्‍वर …

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