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आमाके… दाओ! आमाके…दाओ: शरतचंद्र और ‘आवारा मसीहा’

‘आवारा मसीहा’ शरतचंद्र की जीवनी है। विष्णु प्रभाकर की बरसों की तपस्या का परिणाम। इस यादगार किताब पर एक पठनीय टिप्पणी लिखी है लेखिका निधि अग्रवाल ने। आप भी पढ़िए- ====================== आमाके… दाओ! आमाके…दाओ! डॉ. निधि अग्रवाल कहते हैं जब रवींद्रनाथ ठाकुर ने शरतचन्द्र से कहा था-  “तुम अपनी आत्मकथा …

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‘बिसात पर जुगनू’ की काव्यात्मक समीक्षा

यतीश कुमार की काव्यात्मक समीक्षा शैली से हम सब बखूबी परिचित हैं। आज उन्होंने अपनी शैली में वंदना राग के उपन्यास ‘बिसात पर जुगनू’ की समीक्षा की है। मौका लगे तो पढ़िएगा- ===============================   सुना है कि पुराने ज़माने में जुगनुओं को एक डिब्बे में बंद कर उससे रात में …

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हमने बाबा को देखा है!

आज बाबा नागार्जुन की जयंती है। उनको याद करते हुए दो कविताएँ वरिष्ठ लेखक-कवि प्रकाश मनु ने लिखी है। आप भी पढ़िए- =======================   बाबा, हम फिर आएँगे   बाबा, हम फिर आएँगे तुम्हारे पास बाबा, हम फिर-फिर आएँगे, तुम सुनाना हमें किस्से… तुम सुनाना हमें कहानियाँ!   तुम सुनाना …

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