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भारतीय दृष्टिकोण से विश्व सिनेमा का सौंदर्यशास्त्र

युवा लेखक प्रचण्ड प्रवीर ने विश्व सिनेमा पर यह श्रृंखला शुरू की है. विश्व सिनेमा को समझने-समझाने की कोशिश में. मुझे नहीं लगता कि इस तरह से विश्व सिनेमा के ऊपर हिंदी में कभी लिखा गया है. सिनेमा के अध्येताओं और उसके आस्वादकों के लिए समान रूप से महत्व का. …

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राकेश तिवारी की कहानी ‘अंजन बाबू हँसते क्यों हैं’

80-90 के दशक में जब दिल्ली विश्वविद्यालय में पढता था तो जिन कथाकारों की कहानियां पढने में आनंद आता था उनमें एक राकेश तिवारी थे. मध्यवर्गीय जीवन के छोटे-छोटे प्रसंगों को लेकर कई कमाल की कहानियां लिखी उन्होंने. बीच में अपने लेखन को लेकर खुद लापरवाह हो गए. अभी दो …

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साहित्यकरवा सब फ्रॉड है!

शीर्षक से कुछ और मत समझ लीजियेगा. असल में यह एक मारक व्यंग्य लेख है. संजीव कुमार को आलोचक, लेखक के कई रूपों में जानता रहा हूँ, लेकिन पिछले कुछ अरसे से उनके व्यंग्य लेखन का कायल हो गया हूँ. भाषा का खेल, रामपदारथ भाई जैसा किरदार. यह व्यंग्य का …

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