Recent Posts

मन की बात के दौर में तन की बात

जिन्होंने भी पंकज दुबे का उपन्यास ‘लूजर कहीं का’ पढ़ा है वे यह जानते हैं कि उनके लेखन में गहरा व्यंग्य बोध है. अभी हाल में एआईबी रोस्ट नमक एक नए शो को लेकर खूब चर्चा-कुचर्चा हो रही है, श्लीलता-अश्लीलता को लेकर बहसें हो रही हैं. एक करारा व्यंग्य पंकज …

Read More »

अंतरात्मा सिर्फ बड़े लोगों के पास होती है

एक नया व्यंग्य संग्रह आया है राकेश कायस्थ का ‘कोस कोस शब्दकोश’. एक चुटीला व्यंग्य उसी से हाजिर है- मॉडरेटर ============ अंतरात्मा सिर्फ बड़े लोगों के पास होती है। बड़े लोग वो होते हैं, जिनका पीछा टीवी कैमरा करते हैं। जिनकी हर छोटी बात एक बड़ी  ख़बर बनती है और …

Read More »

रंगीन शीशे से दुनिया को देखना: आर के लक्ष्मण

2015 में ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में महान कार्टूनिस्ट आर. के. लक्ष्मण की आत्मकथा ‘द टनेल ऑफ़ टाइम’ का एक अंश प्रकाशित हुआ है. अनुवाद मैंने ही किया था- प्रभात रंजन  ======================================= और इस तरह मैं बगीचे में भटकता रहता था, वह बहुत बड़ा था, वहां कम उम्र के लड़कों के लिए …

Read More »