Recent Posts

घूमते आईने का हिंदी पर ठहराव

सत्यानन्द निरुपम का यह लेख इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ की घोषणा के बाद लिखा गया था। पहले अंग्रेज़ी में आउटलुक में प्रकाशित हुआ। बाद में ‘आलोचना’ में। लेकिन आपके लिए ऑनलाइन जानकी पुल लेकर आ रहा है। अनुवाद को लेकर, हिंदी के बनते वैश्विक परिदृश्य पर सम्यक् सोच के साथ लिखा …

Read More »

बीसवीं सदी का नौवाँ दशक, एल्बम गीत और मासूम प्रेम!

सुनीता मंजू सीवान के एक कालेज में पढ़ाती हैं। उनका यह लेख पढ़िए जो 80-90 के दशक के म्यूज़िक एल्बम्स के ऊपर हैं। दिलचस्प लेख है- =========================== अगर आपका जन्म 1980 से 1990 के दौरान हुआ है तो यह लेख आपके लिए ही है। नब्बे के दशक के प्रारंभ होते …

Read More »

देश छूटकर भी कहाँ छूट पाता है

वरिष्ठ लेखिका सूर्यबाला के उपन्यास ‘कौन देस को वासी: वेणु की डायरी’ की यह समीक्षा समीक्षा लिखी है मधु गुप्ता ने। मधु गुप्ता इंदिरा गांधी महिला महाविद्यालय में लगभग पैंतीस वर्ष तक अध्यापन के बाद स्वतंत्र लेखन कर रही हैं। आप राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास की समीक्षा पढ़िए- …

Read More »