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भारतीय स्त्री-जीवन को आईना दिखाती फिल्में ‘हाईवे’ और ‘क्वीन’

युवा लेखिका सुदीप्ति कम लिखती हैं लेकिन खूब लिखती हैं. हम पाठकों को उनका ‘लंचबॉक्स’ फिल्म पर लिखा लेख अभी तक याद है. आज उन्होंने हाल में आई दो फिल्मों ‘हाइवे’ और ‘क्वीन’ पर लिखा है. इतना ही कह सकता हूँ कि आज मैं ‘हाइवे’ फिल्म देखने जा रहा हूँ, …

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लाल दरअसल खून का नहीं हमारी आँखों में उतरे पानी का रंग है

इन कविताओं पर परंपरा का बोझ नहीं है बल्कि बल्कि इन्हें पढना हिंदी में कविता की अछूती जमीन से गुजरना है. विजया सिंह की कविताओं की ताजगी ने बहुत प्रभावित किया. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर.  ====== ====== 1. रजाई       बुढ़ापे की पहली निशानी है नाखूनों के नीचे गंदगी …

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नुक्कड़ नाटकों की ‘अंतर्ध्वनि’

 दिल्ली विश्वविद्यालय में हुई नुक्कड़ नाटकों की प्रतियोगिता के बहाने नुक्कड़ नाटकों पर अच्छा लेख लिखा है युवा रंग-आलोचक अमितेश कुमार ने- जानकी पुल  ======================================== तीन दिन के मैराथन नुक्कड़ प्रदर्शनी को देखने के बाद जब हम इस निष्कर्ष पर पहूंचने ही वाले थे कि नुक्कड़ नाटकों में कुछ नया …

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